गणपाठ अंश्वादयः अंशु जन राजन् उष्ट्र खेटक अजिर आर्द्रा श्रवण कृत्तिका अर्ध पुर १ अक्षद्यूतादयः अक्षद्यूत जानुप्रहृत जङ्घाप्रहृत जङ्घाप्रहत पादस्वेदन कण्टकमर्दन गतानुगत गतागत यातोपयात अनुगत २ अङ्गुल्यादयः अङ्गुलि भरुज बभ्रु वल्गु मण्डर मण्डल शष्कुली हरि कपि मुनि रुह खल उदश्वित् गोणी उरस् कुलिश शिखा ३ अजादयः अजा एडका कोकिला चटका अश्वा मुषिका बाला होडा पाका वत्सा मण्डा विलाता पूर्वापहाणा अपरापहाणा सम्भस्त्राजिन शणपिण्डेभ्यः फलात् सम्फला भस्त्रफला अजिनफला शणफला पिण्डफला त्रिफला सत्प्राक्काण्ड प्रान्त शतैकेभ्यः पुष्पात् सत्पुष्पा प्राक्पुष्पा काण्डपुष्पा प्रान्त पुष्पा शतपुष्पा एकपुष्पा शूद्रा च अमहत्पूर्वा जातः क्रुञ्चा उष्णिहा देवविशा ज्येष्ठा कनिष्ठा मध्यमा पुंयोगे अपि मूलात् नञः अमूला दंष्ट्रा ४ अजिरादयः अजिर खदिर पुलिन हंस कारण्डव चक्रवाक ५ अदिप्रभृतयः अद हन द्विश दुह दिह लिह चक्षिङ् ईर ईड ईश आस आङः वस कसि णिसि णिजि शिजि पिजि वृजी पृची षूङ् शीङ् यु रु तु णु टुक्षु क्ष्णु ष्णु ऊर्णुञ् द्यु षु कु ष्टुञ् ब्रूञ् इण् इङ् इक् वी या वा भा ष्णा श्रा द्रा प्सा पा रा ला दाप् ख्या प्रा मा वच विद अस मृजूष् रुदिर् ञिष्वप श्वस अन जक्ष जागृ दरिद्रा चकासृ शासु दीधीङ् वेवीङ् षस वस चर्करीतञ्च ह्नुङ् ६ अनुप्रवचनादयः अनुप्रवचन उत्थापन उपस्थापन संवेशन प्रवेशन अनुप्रवेशन अनुससन अनुवचन अनुवाचन अन्वारोहण प्ररम्भण आरम्भण आरोहण ७ अनुशतिकादयः अनुशतिक अनुहोड अनुसंवरण अनुसंवत्सर अङ्गारवेणु असिहत्य अस्यहेति वध्योग पुष्करसद् अनुहरत् कुरुकत कुरुपञ्चाल उदकशुद्ध इहलोक परलोक सर्वलोक सर्वपुरुष सर्वभूमि प्रयोग परस्त्री राजपुरुषात् ष्यञि सूत्रनड आकृतिगणःअयम् ८ अपूपादयः अपूप तण्डुल अभ्यूष अभ्योष अवोष अभ्येष पृथुक ओदन सूप पूप किण्व प्रदीप मुसल कटक कमवेष्टक इर्गल अर्गल अन्नविकारेभ्यश्च यूपस्थूणा दीप अश्व पत्र ९ अयस्मयादयः आकृतिगणः अयम् १० अरीहणादयः अरीहण द्रुघण द्रुहण भगल उलन्द किरण साम्परायण औष्ट्रायण त्रैगर्तायन मैत्रायण भास्त्रायण वैमतायन गौमतायन सौमतायन सौसायन धौमतायन सौमायन ऐन्द्रायण कौन्द्रायण खाडायन शाण्डिल्यायन रायस्पोष विपथ विपाश उद्दण्ड उदञ्चन खाण्डवीरण वीरण काशकृत्स्न जाम्बवत शिंशपा रैवत बिल्व सुयज्ञ शिरीष बधिर जम्बु खदिर सुशर्मन् दलतृ भलन्दन खण्डु कलन यज्ञदत्त ११ अर्धर्चाः अर्धर्च गोमय कषाय कार्षापण कुतप कुसप कपाट शङ्ख गूथ यूथ ध्वज कबन्ध पद्म गृह सरक कंस दिवस यूष अन्धकार दण्ड कमण्डलु मण्ड भूत द्वीप द्यूत चक्र धर्म कर्मन् मोदक शतमान यान नख नखर चरण पुच्छ दाडिम हिम रजत सक्तु पिधान सार पात्र घृत सैन्धव औषध आढक चषक द्रोण खलीन पात्रीव षष्टिक वारबाण प्रोथ कपित्थ शुष्क शाल शील सुल्क सिधु कवच रेणु ऋण कपट शीकर मुसल सुवर्ण वर्ण पूर्व चमस क्षीर कर्ष आकाश अष्टापद मङ्गल निधन निर्यास जृम्भ वृत्त पुस्त बुस्त क्ष्वेदित शृङ्ग निगद खल मधु मूल मूलक स्थूल शराव नाल वप्र विमान मुख प्रग्रीव शूल वज्र कटक कण्टक कर्पट शिखर कल्क नाट मस्तक वलय कुसुम तृण पङ्क कुण्डल किरीट कुमुद अर्बुद अङ्कुश तिमिर आश्रय भूषण इष्वास मुकुल वसन्त तटाक पिटक विटङ्क विडङ्ग पिण्याक माष कोश फलक दिन दैवत पिनाक समर स्थाणु अनीक उपवास शाक पर्पास विशाल चषाल खण्ड दर विटप रण बल मक मृणाल हस्त आर्द्र हल सूत्र ताण्डव गाण्डीव मण्डप पटह सौध योध पार्श्व शरीर फल छल पुर राष्ट्र बिम्ब अम्बर कुट्टिम कुक्कुट कुडप ककुद खण्डल तोमर तोरण मञ्चक पञ्चक पुङ्ख मध्य वल छल वल्मीक वर्ष वस्त्र वसु देह उद्यान उद्योग स्नेह स्तेन स्तन स्वर सङ्गम निष्क क्षेम शूक क्षत्त्र पवित्र यौवन कलह पालक मूषिक मण्डल वल्कल कुञ्ज विहार लोहित विषाण भवन अरण्य पुलिन दृढ आसन ऐरावत शूर्प तीर्थ लोमश तमाल लोह दण्डक शपथ प्रतिसर दारु धनुस् मान वर्चस्क कूर्च तण्डक मठ सहस्र ओदन प्रवाल शकट अपरा नीड शकल तण्डुल १२ अर्शसादयः अर्शस् उरस् तुन्द चतुर पलित जटा घाटा अभ्र अघ कर्दम अम्ल लवण स्वाङ्गाद्धीनात् वमात् १३ अश्मनादयः अश्मन् यूथ ऊष मीन नद दर्भ वृन्द गुद खण्ड नग शिखा कोट पाम कन्द कान्द कुल गह्व गुड कुण्डल पीन गुह १४ अश्वादयः अश्व अश्मन् शङ्ख शूद्रक विद पुट रोहिण खर्जूर खञ्जार वस्त पिजूल भदिल भन्दिल भदित भन्दित प्रकृत रामोद क्षान्त काश तीक्ष्ण गोलाङ्क अर्क स्वर स्फुट चक्र श्रविष्ठ पविन्द पवित्र गोमिन् श्याम धूम धूम्र वाग्मिन् विश्वानर कुट शप आत्रेये जन जड खड ग्रीष्म अर्ह कित विशम्प विशाल गिरि चपल चुप दासक बैल्व प्राच्य धर्म्य आनडुह्य पुंसि जाते अर्जुन प्रहृत सुमनस् दुर्मनस् मनस् प्रान्त ध्वन आत्रेय भार्द्वाजे भरद्वाज आत्रेये उत्स आतव कितव वद धन्य पद शिव खदिर १५ अश्वादयः अश्व अश्मन् गण ऊर्णा उमा भङ्गा गङ्गा वर्षा वसु १६ अश्वपत्यादयः अश्वपति ज्ञानपति शतपति धनपति गणपति स्थानपति यज्ञपति राष्ट्रपति कुलपति गृहपति पशुपति धान्यपति धन्वपति बन्धुपति धर्मपति सभापति प्राणपति क्षेत्रपति १७ आकर्षादयः आकर्ष त्सरु पिशाच पिचण्ड अशनि अश्मन् निचय चय विजय जय आचय नय पद दीप ह्रद ह्राद गद्गद शकुनि १८ आचितादयः आचित पर्याचित आस्थापित परिगृहीत निरुक्त प्रतिपन्न अपश्लिष्ट प्रश्लिष्ट उपहित उपस्थित संहितागवि १९ आहिताग्न्यादयः आहिताग्नि जातपुत्र जातदन्त जातश्मश्रु तैलपीत घृतपीत मद्यपीत ऊढभार्य गतार्थ आकृतिगणः अयम् २० इन्द्रजननादयः आकृतिगणः अयम् २१ इष्टादयः इष्ट पूर्त उपासदित निगदित परिगदित परिवदित निकथित निषादित निपठित संकलित परिकलित संरक्षित परिरक्षित अर्चित गणित अवकीर्ण आयुक्त गृहीत आम्नात श्रुत अधीत अवधान आसेवित अवधारित अवकल्पित निराकृत उपकृत उपाकृत अनुयुक्त अनुगणित अनुपठित व्याकुलित २२ उक्थादयः उक्थ लोकायत न्याय न्यास पुनरुक्त निरुक्त निमित्त द्विपदा ज्योतिष नुपद अनुकल्प यज्ञ धर्म चर्चा क्रमेतर श्लक्ष्ण सङ्हिता पदक्रम सङ्घात वृत्ति परिषद् सङ्ग्रह गण गुण आयुर्वेद २३ उञ्छादयः उञ्छ म्लेच्छ जञ्ज जल्प जप वध युग कालविशेषे रथाद्युपकरणे च गरः दूष्ये अपन्तः वेद वेग वेष्ट बन्धाः करणे स्तुयुद्रुवश् छन्दसि वर्तनिः स्तोत्रे श्वभ्रे दरः साम्बतापौ भाव-गर्हायाम् उत्तमशश्वत्तमौ सर्वत्र भक्षमन्थ भोग देहाः २४ उत्करादयः उत्कर सम्फल शफर पिप्पल पिप्पलीमूल अश्मन् सुवर्ण खलाजिन तिक कितव अणक त्रैवण पिचुक अश्वत्थ काश क्षुद्र भस्त्रा शाल जन्या अजिर चर्मन् उत्क्रोश क्षान्त खदिर शूर्पणाय श्यावनाय नैवाकव तृण वृक्ष शाक पलाश विजिगीषा अनेक आतप फल सम्पर अर्क गर्त अग्नि वैराणक इडा अरण्य निशान्त पर्ण नीचायक शंकर अवरोहित क्षार विशाल वेत्र अरीहण खण्ड वातागार मन्त्रणार्ह इन्द्रवृक्ष नितान्तवृक्ष आर्द्रवृक्ष २५ उत्सादयः उत्स उदपान विकर विनद महानद महानस महाप्राण तरुण तलुन बष्कयसे पृथिवी धेनु पङ्क्ति जगती त्रिष्टुभ् अनुष्टुभ् जनपद भरत उशीनर ग्रीष्म पीलुकुण उदस्थान देशे पृषदंश भल्लकीय रथंतर मध्यंदिन बृहत् महत् सत्त्वत् कुरु पञ्चाल इन्द्रावसान उष्णिह् ककुभ् सुवर्ण देव ग्रीष्मातच्छन्दसि २६ उत्सङ्गादयः उत्सङ्ग उडुप उत्पुत उत्पन्न उत्पुट पिटक पिटाक २७ उद्गात्रादयः उद्गातृ उन्नेतृ प्रतिहर्तृ प्रशास्तृ होतृ पोतृ हर्तृ रथगणक पत्तिगणक सुष्ठु दुष्ठु अध्वर्यु वधू सुभग मन्त्रे २८ उपकादयः उपक लमक भ्रष्टक कपिष्ठल कृष्णाजिन कृष्णसुन्दर चूडारक आडारक गडुक उदङ्क सुधायुक अबन्धक पिङ्गलक पिष्टक सुपिष्ट मयूरकर्ण खारीजङ्घ शलाथल पतञ्जल पदञ्जल कठेरणि कुषीतक काशकृत्स्न निदाघ कलशीकण्ठ दामकण्ठ कृष्णपिङ्गल कर्णक पर्णक जटिलक बधिरक जन्तुक अनुलोम अनुपद प्रतिलोम अपजघ प्रतान अनभिहित कमक वराट्क लेखाभ्र कमन्दक पिञ्जूलक वर्णक मसूरकर्ण मदाघ कवन्तक कमन्तक कदामत्त दामकन्थ २९ उरस्प्रभृतयः उरस् सर्पिस् उपानह् पुमान् अनड्वान् पयस् नौ लक्ष्मी दधि मधु शालि अर्थाद्नञः ३० ऊर्यादयः ऊरी उररी तन्थी ताली आताली वेताली धूली धूसी शकला संशकला ध्वंसकला भ्रंसकला गुलुगुधा सजुष् फल फली विक्ली आक्ली आलोष्ठी केवाली केवासि सेवासी पर्याली शेवाली वर्षाली अत्यूमशा वश्मशा मस्मसा मसमसा औषट् वौषट् वषट् स्वाहा स्वधा स्वधा बन्धा प्रादुस् आत् आविस् ३१ ऋगायनादयः ऋगायन पदव्याख्यान छन्दोमान छन्दोभाषा छन्दोविचिति न्याय पुनरुक्त निरुक्त व्याकरण निगम वास्तुविद्या क्षत्रविद्या अङ्गविद्या विद्या उत्पात उत्पाद उद्याव संवत्सर मुहूर्त उपनिषद् निमित्त शिक्षा भिक्षा ३२ ऋश्यादयः ऋश्य न्यग्रोध शर निलीन निवास निवात निधान निबन्ध विबद्ध परिगूढ उपगूढ असनि सित मत वेश्मन् उत्तराश्मन् अश्मन् स्थूल बहु खदिर शर्करा अनडुह् अरडु परिवंश वेणु वीरण खण्ड दण्ड परिवृत्त कर्दम अंशु ३३ ऐशुकार्यादयः ऐशुकारि सारस्यायन चान्द्रायण द्व्याक्षायण त्र्याक्षायण औडायन जौलायन खाडायन दासमित्रि दासमित्रायण शौद्रायण दाक्षायण शापण्डायन शयण्डायन तार्क्ष्यायण शौभ्रायण सौवीर सौवीरायण शपण्ड शयण्ड सौण्ड शयाण्ड वैश्वमानव वैश्वधेनव नड तुण्डदेव विश्वदेव सापिण्डि ३४ कच्छादयः कच्छ सिन्धु वर्णु गन्धार मधुमत् कम्बोज कश्मीर साल्व कुरु अनुषण्ड द्वीप अनूप अजवाह विजापक कलूतर रङ्कु ३५ कडाराः कडार गडुल खञ्ज खोड कण कुण्ठ खलति गौर वृद्ध भिक्षुक पिङ्ग पिङ्गल तड तनु जठर बधिर मठर कञ्ज बर्बर ३६ कण्ड्वादयः कण्डूञ् मन्तु हृणीङ् वल्गु असु मनस् महीङ् लाट् लेट् इरस् इरज् इरञ् दुवस् उषस् वेट् मेधा कुषुभ नमस् मगध तन्तस् पम्पस् सुख दुःख भिक्ष चरण चरम अवर सपर अरर भिषज् भिष्णुज् अपर आर इषुध वरण चुरण तुरण भुरण गद्गद एला केला खेला वेला शेला लिट् लोट् लेखा लेख रेखा द्रवस् तिरस् अगद उरस् तरण पयस् सम्भूयस् सम्बर आकृतिगणोऽयम् ३७ कण्वादयः कण्व शकल गोकक्ष अगस्त्य कुण्डिनी यज्ञवल्क पर्णवल्क अभयजात विरोहित वृषगण रहूगण शण्डिल वर्णक चुलुक मुद्गल मुसल जमदग्नि पराशर जतूकर्ण महित मन्त्रित अश्मरथ शर्कराक्ष पूतिमाष स्थूरा अदरक एलाक पिङ्गल कृष्ण गोलन्द उलूक तितिक्ष भिषज् भिष्णज भडित भण्डित दल्भ चेकित चिकित्सित देवहू इन्द्रहू एकलू पिप्पलू बृहदग्नि सुलोहिन् सुलाभिन् उक्थ कुटीगु ३८ कत्त्र्यादयः कत्त्रि उम्भि पुष्कर पुष्कल मोदन कुम्भी कुण्डिन नगरी माहिष्मती वर्मती उख्या ग्राम कुड्याया यलोपश्च ३९ कथादयः कथा विकथा विश्वकथा संकथा वितण्डा कुष्टविद् जनवाद जनेवाद जनोवाद वृत्ति संग्रह गुण गण आयुर्वेद ४० कर्क्यादयः कर्की मघ्नी मकरी कर्कन्धु शमी करीर कन्दुक कुवल बदरी ४१ कर्णादयः कर्ण वसिष्ठ अर्क अर्कलूष द्रुपद आनडुह्य पाञ्चजन्य स्फिग कुम्भी कुन्ती जित्वन् जीवन्त कुलिश आण्डीवत् जव जैत्र आनक ४२ कर्णादयः कर्ण अक्षि नख मुख केश पाद गुल्फ भ्रू शृङ्ग दन्त ओष्ठ पृष्ठ ४३ कल्याण्यादयः कल्याणी सुभगा दुर्भगा बन्धकी अनुदृष्टि अनुसृष्टि जरती बलीवर्दी ज्येष्ठा कनिष्ठा मध्यमा परस्त्री ४४ कस्कादयः कस्कः कौतस्कः भ्रातुष्पुत्रः शुनस्कर्णः सद्यस्कालः सद्यस्क्रीः सद्यस्कः कंस्कान् सर्पिष्कुण्डिका धनुष्कपालम् बहिष्पलम् यजुष्पात्रम् अयस्कान्तः तमस्काण्डः अयस्कान्डः मेदस्पिण्डः भास्करः अहस्करः ४५ कर्तकौजपादयः कार्तकौजपौ सावर्णिमाण्डूकेयौ अवन्त्यश्मकाः पैलश्यापर्णेयाः कपिश्यापर्णेयाः शैतिकाक्षपाञ्चालेयाः कटुकवाधूलेयाः शाकलशुनकाः शाकलसणकाः शणकबाभ्रवाः आर्चाभिमौद्गलाः कुन्तिसुराष्ट्राः चिन्तिसुराष्ट्राः तण्डवतण्डाः अविमत्तकामविद्धाः बाभ्रवशालङ्कायनाः बाभ्रवदानच्युताः कठकालापाः कठकौथुमाः कौथुमलौकाक्षाः स्त्रीकुमारम् मौद्गादाः वत्सजरन्तः सौश्रुतपार्थवाः जरामृत्यू याज्यानुवाक्ये ४६ काशादयः काश पाश अश्वत्थ पलाश पियूक्षा चरण वास नड वन कर्दम कच्छूल कङ्कट गुहा बिस तृण कर्पूर बर्बर मधुर ग्रह कपित्थ जतु शीपाल ४७ काश्यादयः काशि चेदि संयाति संवाह अच्युत मोदमान शकुलाद हस्तिकर्षू कुनामन् हिरण्य करण गोवासन भारङ्गी अरिंदम अरित्र देवदत्त दशग्राम शौचावतान युवराज उपराज देवराज मोदन सिन्धु मित्र दासमित्र सुधामित्र सोममित्र छागमित्र साधमित्र आपदादिपूर्वपदात् कालान्तात् ४८ काष्ठादयः काष्ठ दारुण अमातापुत्र वेश अनाज्ञात अनुज्ञात अपुत्र अयुत अद्भुत अनुक्त भृश घोर सुख परम सु अति ४९ किंशुलुकादयः किंशुलुक शाल्व नड अञ्जन भञ्जन लोहित कुक्कुट ५० किरादयः कॄ विक्षेपे गॄ निगरणे दृङ् आदरे धृङ् अवस्थाने प्रच्छ ज्ञीप्सायाम् ५१ किशरादयः किशर नरद नलद स्थागल तगर गुग्गुलु उशीर हरिद्रा हरिद्रु पर्णी ५२ कुञ्जादयः कुञ्ज ब्रध्न शङ्ख भस्मन् गण लोमन् शठ शाक शुण्डा शुभ विपाश् स्कन्द स्कम्भ ५३ कुटादयः कुट कौटिल्ये पुट संश्लेषणे कुच संकोचने गुज शब्दे गुड रक्षायाम् डिप क्षेपे छुर छेदने स्फुट विकसने मुट आक्षेपप्रमर्दनयोः त्रुट छेदने तुट कलहकर्मणि चुट छुट छेदने जुड बन्धने कड मदे लुट संश्लेषणे कृड घनत्वे कुद बाल्ये पुड उत्सर्गे घुट प्रतिघाते तुड तोडने थुड स्थुड संवरणे स्फुर स्फुल संचलने स्फुड चुड व्रुड संवरणे क्रुड भृड निमज्जने हुड संघाते गुरी उद्यमने नूस्तवने धू विधूनने गुपुरीषोत्सर्गे ध्रु गतिस्थैर्ययोः ५४ कुमुदादयः कुमुद शर्करा न्यग्रोध इक्कट संकट कङ्कट गर्त बीज परिवाप निर्यास शकट कच मधु शिरीष अश्व अश्वत्थ बल्बज यवाष कूप विकङ्कत दशग्राम ५५ कुमुदादयः कुमुद गोमय रथकार दशग्राम अश्वत्थ शल्मलि शिरीष मुनिस्थल कुण्डल कूट मधुकर्ण घासकुन्द शुचिकर्ण ५६ कुम्भपद्यः कुम्भपदी एकपदी जलल्प्लदी शूलपदी मुनिपदी गुणपदी शतपदी सूत्रपदी गोधापदी कलशीपदी विपदी तृणपदी द्विपदी त्रिपदी षट्पदी दासीपदी शितिपदी विष्णुपदी निष्पदी आर्द्रपदी कुणिपदी कृष्णपदी शुचिपदी द्रोणीपदी द्रुपदी सूकरपदी शकृत्पदी अष्टापदी स्थूणापदी अपदी सूचीपदी ५७ कुर्वादयः कुरु गर्गर मङ्गुष अजमार रथकार वावदूक समाजः क्षत्रिये कवि विमति कापिञ्जलादि वाक् वामरथ पितृमत् इन्द्रजाली एजि वातकि दामोष्णीषि गणकारि कैशोरि कुट शलाका मुर पुर एरका शुभ्र अभ्र दर्भ केशिनी वेनाच्छन्दसि शूर्पणाय श्यावनाय स्यावरथ श्यावपुत्र सत्यंकार वडभीकार पथिकार मूढ शकन्धु शङ्कु शक शालिन् शालीन कर्तृ हर्तृ इन पिण्डी तक्षन् वामरथस्य कण्वादिवत् स्वरवर्जम् ५८ कुलालादयः कुलाल वरुड चण्डाल निषाद कर्मार सेना सिरिन्ध्र सैरिन्ध्र देवराज पर्षद् वधू मधु रुरु रुद्र अनडुह् ब्रह्मन् कुम्भकार श्वपाक ५९ कृतादयः कृत मित मत भूत उक्त युक्त समाज्ञात समाम्नात समाख्यात सम्भावित संसेवित अवधारित मिराकृत उपकृत उदाहृत विश्रुत उदित आकृतिगणः अयम् ६० कृशाश्वादयः कृशाश्व अरिष्ट अरिश्म वेश्मन् विशाल लोमश रोमश रोमक लोमक शबल कूट वर्चल सुवर्चल सुकर सूकर प्रतर सदृश पुरग पुराग सुख धूम अजिन विनत अवनत कुविद्यास पराशर अरुस् अयस् मौद्गल्याकर ६१ कोटरादयः कोटर मिस्रक सिध्रक पुरग शारिक ६२ क्रत्वादयः क्रतु दृशीक प्रतीक प्रतूर्ति हव्य भव्य भग ६३ क्रमादयः क्रम पद शिक्षा मीमांसा सामन् ६४ क्र्यादयः क्रीञ् प्रीञ् श्रीञ् मीञ् षिञ् स्कुञ् युञ् क्नूञ् द्रूञ् पूञ् मूञ् लूञ् स्तृञ् कृञ् वृञ् धूञ् शॄ पॄ वॄ स्तृ भृ जॄ झॄ दॠ धॄ नॄ मॄ ॠ गॄ ज्या व्री री ली व्ली प्ली क्षीष् भ्री ज्ञा बन्ध वृङ् श्रन्थ मन्थ श्रन्थ ग्रन्थ कुन्थ मृद मृड च मृड गुध कुष क्षुभ णभ तुभ क्लिशू अश उध्रस इष विष प्रुष प्लुष पुष मुष खच खव हेठ ग्रह ६५ क्रोडादयः क्रोड नख खुर गोखा उखा शिखा वाल शफ[Ê] गुद आकृतिगणः अयम् ६६ क्रौड्यादयः क्रौडि लाव्यिआ!डि आपिशलि आपक्षिति चौपयत चैतयत शैकयत बैल्वयत सौधातकि सूत युवत्याम् भोजक्षत्रिये यौतकि कौटि भौरिकि भौलिकि शाल्मलि शालास्थलि कपिष्ठलि गौकक्ष्य ६७ क्षुभ्नादयः क्षुभ्ना नृनमन नन्दिन् नन्दन नगर एतानि उत्तरपदानि संज्ञायाम्प्रयोजयन्ति हरिनन्दी हरिनन्दन गिरिनगरम् नृतीर्यङि प्रयोजयन्ति नर्तन गहन नन्दन निवेश निवास अग्नि अनूप एतानि उत्तरपादनि प्रयोजयन्ति परिनर्तनम् परिगहनम् परिनन्दनम् शरनिवेसः शरनिवासः शराग्निः दर्भानूपः आचार्यातणत्वं च आचार्यभोगीनः आकृतिगणः अयम् ६८ खण्डिकादयः खण्डिक वडवा क्षुद्रकमालवात् सेना संज्ञायाम् भिक्षुक शुक उलूक श्वन् अहन् युगवरत्रा हलबन्ध ६९ गमिनादयः गमी आगमी भावी प्रस्थायी प्रतिरोधी प्रतिबोधी प्रतियायी प्रतियोगी ७० गर्गादयः गर्ग वत्स वाजसे संकृति अज व्याघ्रपाद् विदभृत् प्राचीनयोग अगस्ति पुलस्ति चमस रेभ अग्निवेश शङ्ख शट शक एक धूम अवट मनस् धनंजय वृक्ष विश्वावसु जरमाण लोहितादयः लोहित संशित बभ्रु वल्गु मण्डु गण्डु शङ्कु लिगु गुहलु मन्तु मङ्क्षु अलिगु जिगीषु मनु तन्तु मनायी सूनु कथक कन्थक ऋक्ष तृक्ष तनु तरुक्ष तलुक्ष तण्ड वतण्ड कपि कत कुरुकत अनडुह् कण्वादयः कण्व शकल गोकक्ष अगस्त्य कुण्डिनी यज्ञवल्क पर्णवल्क अभयजात विरोहित वृषगण रहूगण शण्डिल वर्णक चुलुक मुद्गल मुसल जमदग्नि पराशर जतूकर्ण महित मन्त्रित अश्मरथ शर्कराक्ष पूतिमाष स्थूरा अदरक एलाक पिङ्गल कृष्ण गोलन्द उलूक तितिक्ष भिषज् भिष्णज भडित भण्डित दल्भ चेकित चिकित्सित देवहू इन्द्रहू एकलू पिप्पलू बृहदग्नि सुलोहिन् सुलाभिन् उक्थ कुटीगु ७१ गवादयः गो हविस् अक्षर विष बर्हिस् अष्टका स्खदा युग मेधा स्रुच् नाभि नभं च शुनः सम्प्रसारणं वा च दीर्घत्वं तत्संनियोगेन चान्तोदात्तत्वम् ऊधसोनङ् च कूप खद दर खर असुर अध्वन् क्षर वेद बीज दीप्त ७२ गवाश्वप्रभृतीनि गवाश्वम् गवाविकम् गवैडकम् अजाविकम् अजैडकम् कुब्जवामनम् कुब्जकिरातम् पुत्रपौत्रम् श्वचण्डालम् स्त्रीकुमारम् दासीमाणवकम् शाटीपटीरम् शाटीप्रच्छदम् शातीपट्टिकम् उष्ट्रखरम् उष्ट्रशशम् मूत्रशकृत् मूत्रपुरीषम् यकृद्मेदः मांसशोणितम् दर्भशरम् दर्भपूतीकम् अर्जुनशिरीषम् अर्जुनपुरुषम् तृणुलपम् दासीदासम् कुटीकुटम् भागवतीभागवतम् ७३ गहादयः गह अन्तस्थ सम विषम मध्यमध्यमं च अण् चरणे उत्तम अङ्ग वङ्ग मगध पूर्वपक्ष अपरपक्ष अधमशाख उत्तमशाख एकशाख समानशाख समानग्राम एकग्राम एकवृक्ष एकपलाश इष्वग्र इष्वनीक अवस्यन्दन कामप्रस्थ खाडायन शाडिकाडायनि काठेरणि लावेरणि सौमित्रि शैशिरि आसुत् दैवशर्मि श्रौति आहिंसि आमित्रि व्याडि बैजि आध्यश्वि आनृशंसि शौङ्गि आग्निशर्मि भौजि वाराटकि वाक्मीकि क्षैमवृद्धि आश्वत्थि औद्गाहमानि ऐक बिन्दवि दन्ताग्र हंस तन्त्वग्र उत्तर अनन्तर मुखपार्श्वतसोर् लोपः जनपरयोर् कुक् च देवस्य च वेणुकादिभ्यश्चण् आकृतिगणः अयम् ७४ गुडादयः गुड कुल्माष सक्तु अपूप मांसोदन इक्षु वेणु संग्राम संघात संक्राम संवाह प्रवास निवास उपवास ७५ गुणादयः गुण अक्षर अध्याय सूक्त छन्दोमान आकृतिगणः अयम् ७६ गृष्ट्यादयः गृष्टि हृष्टि बलि हलि अजवस्ति मित्रयु ७७ गोत्रादीनि गोत्र ब्रुव प्रवचन प्रहसन प्रकथन प्रत्ययन प्रपञ्च प्राय न्याय प्रचक्षण विचक्षण अवचक्षण स्वाध्याय भूयिष्ठ वा नाम ७८ गोपवनादयः गोपवन शिग्रु बिन्दु भाजन अश्वावतान श्यामाक श्यामक श्यापर्ण ७९ गोषदादयः गोषद् इषेत्वा मातरिश्वन् देवस्य त्वा देवीरापः कृष्णोस्याखरेष्ठः देवींधिय रक्षोहण युञ्जान अञ्जन प्रभूत प्रतूर्त कृशानु ८० गौरादयः गौर मत्स्य मनुष्य शृङ्ग पिङ्गल हय गवय मुकय ऋश्य पुट तूण द्रुण द्रोण हरिण कोकण पटर उणक आमलक कुवल बिम्ब बदर फर्करक तर्कार शर्कार पुष्कर शिखण्ड सलद शष्कण्ड सनन्द सुषम सुषव अलिन्द गडुल षाण्डश आढक आनन्द आश्वत्थ सृपाट आखक शष्कुल सूर्य सूर्प सूच यूष यूथ सूप मेथ वल्लक धातक सल्लक मालक मालत साल्वक वेतस वृक्ष अतस उभय भृङ्ग मह मठ छेद पेश मेद श्वन् तक्षन् अनडुही अनड्वाही एषणः करणे देह देहल काकादन गवादन तेजन रजन लवण औद्गाहमानि गौतम पारक अयःस्थूण भौरिकि भौलिकि भौलिङ्गि यान मेध आलम्बि आलजि आलब्धि आलक्षि केवाल आपक आरट नट टोट नोट मूलाट शातन पोतन पातन पाटन आस्तरण अधिकरण अधिकार आग्रहायणी प्रत्यवरोहिणी सेचन सुमङ्गलात्संज्ञायाम् अण्डर सुन्दर मण्डल मन्थर मङ्गल पट पिण्ड षण्ड ऊर्द गुर्द शम सूद औड हृद पाण्ड भाण्ड लोहाण्ड कदर कन्दर कदल तरुण तलुन कल्माष बृहत् महत् सौधर्म रोहिणी नक्षत्रे रेवती नक्षत्रे विकल निष्कल पुष्कल कटाच्छ्रोणिवचने पिप्पल्यादयश्च पिप्पली हरीतकी कोशातकी शमी वरी शरी पृथिवी क्रोष्टु मातामह पितामह ८१ गौरादयः गौर तैष तैल लेट लोट जिह्वा कृष्णा कन्या गुध कल्प पाद ८२ ग्रहादयः ग्राही उत्साही उद्दासी उद्भासी स्थायी मन्त्री सम्मर्दी रक्षश्रुवपशाम्नौ निरक्षी निश्रावी निवापी निशयी याचृ व्याहृसंव्याहृ व्रज वद वसाम् प्रतिषिद्धानाम् अयाची अव्याहारी असंव्याहारी अव्राजी अवादी अवासी अचामचित्तकर्तृकाणाम् प्रतिसिद्धानाम् अकारी अहारी अविनायी विशायी विषायी विशयी विषयी देशे विशयी विशयी अभिभावी भूते अपराधी उपरोधी परिभवी परिभावी ८३ घोषादयः घोष घट वल्लभ ह्रद बदरी पिङ्गल पिशङ्ग माला रक्षा शाला कूट शाल्मली अश्वत्थ तृण सिल्पी मुनि प्रेक्षाकू ८४ चादयः च वा ह अह एव एवम् नूनम् शश्वत् युगपत् भूयस् सूपत् कूपत् कुवित् नेत् चेत् चण् कच्चित् यत्र तत्र नह हन्त माकिम् माकीम् माकिर् नकिम् नकीम् नकिर् आकीम् माङ् तावत् यावत् त्वा त्वे त्वै द्वै रै रे श्रौषट् वौषट् वषट् स्वाहा स्वधा ओम् तथाहि खलु किल अथ सु सुष्ठु स्म अ इ उ ऋ लृ ए ऐ ओ औ अदह दह उञ् कुञ् वेलायाम् मात्रायाम् यथा यत् तत् किम् पुरा वधा धिक् हाहा हेहै पाट् प्याट् आहो उताहो हो अहो नो अथो ननु मन्ये मिथ्या असि ब्रूहि तु नु इति इव वत् वात् चन बत सम् वशम् शिकम् दिकम् हिकम् सनुकम् छम्बट् शङ्के शुकम् खम् सनात् सनुतर् नहिकम् सत्यम् ऋतम् इद्धा अद्धा नोचेत् नचेत् नहि जातु कथम् कुतः कुत्र अव अनु ह हे है आहोस्वित् शम् कम् खम् दिष्ट्या पशु वट् सह अनुषट् आनुषक् अङ्ग फट् ताजक भाजक् अये अरे वात् कुम् खुम् घुम् अम् ईम् सीम् सिम् सि वै उपसर्गविभक्तिस्वरप्रतिरूपकाश्च निपाताः ८५ चार्वादयः चारु साधु यौधकि अनङ्गमेजय वदान्य अकस्मात् वर्तमान वर्धमान त्वरमाण ध्रियमाण क्रीयमाण रोचमान शोभमानाः संज्ञायाम् विकार सदृशे व्यस्ते समस्ते गृहपति गृहपतिक राजाह्नोश्छन्दसि ८६ चिहणादयः चिहण मदुर मद्रुमर वैतुल पटत्क बैडालिकर्णक बैदालिकर्णि कुक्कुट चिक्कण चित्कण ८७ चुरादयः चुर चिति यत्रि स्फुडि स्फुटि लक्ष कुद्रि लड मिदि ओलडि उलडि जल लज पीड नट श्रथ बध पॄ ऊर्ज्ज पक्ष वर्ण चूर्ण वर्ण प्रथ पृथ पथ षम्ब शम्ब साम्ब भक्ष कुट्ट पुट्ट चुट्ट अट्ट षुट्ट लुण्ठ शठ श्वठ श्वठि तुज तुजि पिज पिजि लजि लुजि पिस षान्त्व श्वल्क वल्क ष्णिह स्फिट स्मिट ष्मिङ् श्लिष पथि पिच्छ छदि श्रण तड खड खडि कडि कुडि गुडि कुठि गुठि खुडि वटि वडि चडि मडि भडि छर्द पुस्त बुस्त चुद नक्क धक्क चक्क चुक्क क्षल तल तुल दुल पुल चुल मूल कल विल बिल तिल चल पाल लूष शुल्ब शूर्प चुट मुट पिश पडि पसि व्रज शुल्क चपि क्षपि छजि श्वर्त्त श्वभ्र शप यम चह रह बल चिञ् घट्ट मुस्त खट्ट षट्ट चुबि पूल पूर्ण पुण पुंस टकि धूस धूष धूश कीट चूर्ण पूज अर्क शुठ शुठि जुड गज मार्ज मर्च्च घृ पचि तिज कॄत वर्द्ध कुबि कुभि लुबि तुबि ह्लप क्लप चुटि इल म्रच्छ म्लेच्छ म्लेच्छ ब्रूस बर्ह गर्द गर्ज गर्ध गुर्द जसि ईड जसु पिठि रुष रुट डिप ष्टुप चित दशि दस दसि डप डिप तत्रि मत्रि स्पश तर्ज भर्त्स बस्त गन्ध बिष्क हिष्क निष्क लल कूण तूण भ्रूण शठ यक्ष स्यम गूर शम लक्ष कुत्स त्रुट कुट गल भल कूट कुट्ट वञ्चु वृष मद दिवु गॄ विद मान यु कुस्म चर्च बुक्क शब्द कण जभि षूद जसु पश अम [Ê]अट स्फुट घट दिवु अर्ज घुषिर् आङः क्रन्द लस तसि भूष अर्ह ज्ञा भज शृधु यत कल गल रघ रग अञ्चु लिगि मुद त्रस उध्रस मुच वस चर च्यु भुवो कृपेश्च ग्रस पुष दल पट पुट लुट तुजि मिजि पिजि लुजि भजि लधि त्रसि पिसि कुसि दशि कुशि घट घटि बृहि बर्ह वल्ह गुप धुप विच्छ चीव पुथ लोकृ लोचृ णद कृप तर्क वृतु वृधु रुट लजि अजि दसि भृशि रुशि शीक नट पुटि जिवि रघि अहि रहि महि लडि तड नल पूरी रुज ष्वद युज पृच अर्च षह ईर ली वृजी वृञ् जॄ ज्रि रिच शिष तप तृप छृदी चृप छृ दृप दृभी दृभ छद श्रथ मी ग्रन्थ क्रथ शीक चीक अर्द हिसि अर्ह आङः षद शुन्ध छद जुष धूञ् प्रीञ् ग्रन्थ ग्रन्थ आप्लृ तनु चन वद वच मान भू गर्ह मार्ग कठि मृजू मृष धृष कथ वर गण शठ श्वठ पट वट रह रङ्ग स्तन गदी पत पष स्वर वच कल चह मह सार कृप श्रथ स्पृह भाम सूच खेट खेड खोट क्षोट गोम कुमार शील साम वेल काल च पल्पूल वात गवेष वास निवास भाज समाज ऊन ध्वन कूट सङ्केत ग्राम कुण गुण कूण स्तेन पद गृह मृग जुह शूर वीर स्थूल अर्थ सत्र गर्व सूत्र मूत्र रूक्ष पार तीर पुट घेक कत्र कर्त्त वष्क चित्र अंस वट लज वटि लजि मिश्र सङ्ग्राम स्तोम छिद्र अन्ध दण्ड अङ्क अङ्ग च सुख दुःख रस व्यय रूप छेद छद लाभ व्रण वर्ण पर्ण विष्क क्षप वस तुत्थ ८८ चूर्णादीनि चूर्ण करिव करिप शाकिन शाकट द्राक्षा तूस्त कुन्दुम दलप चमसी चक्कन चौल ८९ छत्त्रादीनि छत्त्र शिक्षा प्ररोह स्था बुभुक्षा चुरा तितिक्षा उपस्थान कृषि कर्मन् विश्वधा तपस् सत्य अनृत विशिखा भक्षा उदस्थान पुरोडा विक्षा चुक्षा मन्द्र ९० छात्त्र्यादयः छात्त्रि पेलि भाण्डि व्याडि आखण्डि आटि गोमि ९१ छेदादयः छेद भेद द्रोह दोह नर्ति कर्ष तीर्थ सम्प्रयोग विप्रयोग प्रयोग विप्रकर्ष प्रेषण सम्प्रश्न विप्रश्न विकर्ष प्रकर्ष विराग विरङ्गं च ९२ जक्षित्यादयः जक्ष जागृ दरिद्रा चकासृ शासु दीधीङ् वेवीङ् ९३ जुहोत्यादयः हु ञिभी ह्री पॄ डुभ्ञ् माङ् ओहाङ् ओहाक् डुदाञ् डुधाञ् णिजिर् विजिर् विष्लृ घृ ह्र ऋ सृ भस कि तुर ढिष धन जन गा ९४ ज्वलादयः ज्वल चल जल टल ट्वल ष्ठल हल णल पल बल पुल कुल सल हुल पत्लृ हुल क्वथे पथे मथे टुवम भ्रमु क्षर षह रम षद्लृ शद्लृ क्रुश कुच बुध रुह कस ९५ डतरादयः डतर डतम इतर अन्य अन्यतर ९६ तक्षशिलादयः तक्षशिला वत्सोद्धरण कैर्मेदुर ग्रामणी छगल क्रोष्टुकर्ण सिङ्हकर्ण संकुचित किंनर काण्डधार पर्वत अवसान बर्बर कंस ९७ तनादयः तनु शनु क्षणु क्षिणु ऋणु तृणु घृणु वनु मनु ९८ तनोत्यादयः तनु क्षणु क्षिणु ऋणु तृणु घृणु वनु मनु ९९ तसिळादयः १०० तारकादयः तारका पुष्प कर्णक मञ्जरी ऋजीस क्षण सूच मूत्र निष्क्रमण पुरीष उच्चार प्रचार विचार कुड्मल कण्टक मुसल मुकुल कुसुम कुतूहल स्तबक किसलय पल्लव खण्ड वेग निद्रा मुद्रा बुभुक्षा धेनुष्या पिपासा श्रद्धा अभ्र पुलक अङ्गारक वर्णक द्रोह दोह सुख दुःख उत्कण्ठा भर व्याधि वर्मन् व्रण गौरव शास्त्र तरङ्ग तिलक चन्द्रक अन्धकार गर्व कुमुर हर्ष उत्कर्ष रण कुवलय गर्ध क्षुध् सीमन्त ज्वर गर रोग रोमाञ्च पण्डा कज्जल तृष् कोरक कल्लोल स्थपुट फल कञ्चुक शृङ्गार अङ्कुर शेवल बकुल श्वभ्र आराल कलङ्क कर्दम कन्दल मूर्छा अङ्गार हस्तक प्रतिबिम्ब विघ्नतन्त्र प्रत्यय दीक्षा गर्ज गर्भात् अप्राणिनि आकृतिगणः अयम् १०१ तालादयः तालाद्धनुषि बार्हिण इन्द्रालिश इन्द्रादृश इन्द्रायुध चय श्यामाक पीयूक्षा १०२ तिकादयः तिक कितव संज्ञा बाला शिखा उरस् साठ्य सैन्धव यमुन्द रूप्य ग्राम्य नील अमित्र गौकक्ष्य कुरु देवरथ तैत्तल औरस कौरव्य भौरिकि भौलिकि चौपयत चैतयत शीकयत क्षैतयत वाजवत चन्द्रमस् शुभ गङ्गा वरेण्य सुपामन् आरटव वह्यका खल्या वृष लोमक उदन्य यज्ञ १०३ तिककितवादयः तिककितवाः वङ्खरभण्डीरथाः उपकलमकाः पफकनरकाः बकनखगुदपरिणद्धाः उब्जककुभाः लङ्कशान्तमुखाः उत्तरशलन्कटाः कृष्णाजिनकृष्णसुन्दराः भ्रष्टककपिष्ठलाः अग्निवेशदशेरुकाः १०४ तिष्ठद्गुप्रभृतीनि १०५ तिष्ठद्गु वहद्गु आयतीगवम् ख्कलेयवम् खलेबुसम् लूनयवम् लूयमानयवम् पूतयवम् पूयमानयवम् सङ्हृतयवम् सङ्ह्रियमाणयवम् सङ्हृतबुसम् सङ्ह्रियमाणबुसम् समभूमि समपदाति सुषमम् विषमम् दुःषमम् निःषमम् अपसमम् आयतीसमम् प्रोढम् पापसमम् पुण्यसमम् प्राम् प्ररथम् प्रमृगम् प्रदक्षिणम् अपरदक्षिणम् सम्प्रति असम्प्रति इच्प्रत्ययः समासान्तः १०५ तुजादयः तूतुजान मामहान्न दाधार मीमाय १०६ तुदादयः तुद णुद दिश भ्रस्ज क्षिप कृष ऋशी जुषी ओविजी ओलजी ओव्रश्चू व्यच्व उछीउ!छी ऋछ मिछ जर्ज चर्च झर्झ त्वच ऋच उब्ज उद्झ लुभ रिफ तृफ तृन्फ तुप तुन्प तुफ तुन्फ दृफ दृन्फ ऋफ ऋन्फ गुफ गुन्फ उभ उन्भ शुभ शु न्भ दृभी चृती विध जुड मृड पृड पृण मृण दुण पुण मुण कुण शुन द्रुण घुण घूर्ण षुर कुर खुर मुर क्षुर घुर पुर वृहू तृहू तृण्हू इष मिष किल तिल चिल चल इल विल बिल णिल हिल शिल मिल लिख कुट पुट कुच गुज गुड डिप छुर स्फुट मुट त्रुट तुट चुट छुट जुड कड लुट कृड कुड पुड घुट तुड थुड स्थुड फुर स्फुल स्फुड चुड व्रुड क्रुड भृड हुड गुरी णु धु गु ध्रु कुङ् पृङ् मृङ् रि पि धि क्षि षू कॄ गॄ दृङ् धृङ् प्रछ सृज टुमस्जो रुजो भुजो छुप रुश रिश लिश स्पृश विछ विश मृष णुद षद्लृ शद्लृ मिल मुच्लृ लुप्लृ विद्लृ लिप षिच कृती खिद पिस १०७ तुन्दादयः तुन्द उदर पिचण्ड यव व्रीहि स्वाङ्गात् विवृद्धौ १०८ तृणादयः तृण नड मूल वन पर्ण वर्ण वराण बिल पुल फल अर्जुन अर्ण सुवर्ण बल चरण बुस १०९ तौल्वल्यादयः तौल्वलि धारणि पारणि रावणि दैलीपि कैवति वार्कलि नैवति दैवमति दैवयज्ञि चाफट्टकि बैल्वकि वैकि आनुहारति पौष्करसादि आनुरोहति आनुति प्रादोहनि नैमिश्रि प्राडाहति दान्धकि वैशीति आसिनासि आहिंसि आसुरि नैमिषि आसिबन्धकि पौष्पि कारेणुपालि वैकर्णि वैरकि वैहति ११० त्यदादयः त्यद् तद् यद् एतद् अदस् इदम् एक द्वि युष्मद् अस्मद् भवतू किम् १११ दण्डादयः दण्ड मुसल मधुपर्क कशा अर्घ मेघ मेध सुवर्ण उदक वध युग गुहा भाग इभ भङ्ग ११२ दधिपयादीनि दधिपयसी सर्पिर्मधुनी मधुसर्पिषी ब्रह्मप्रजपती शिववेश्रवणौ स्कन्दविशाखौ परिव्राजककौशिकौ प्रवर्ग्योपसदौ श्क्लुकृष्णौ इध्मबर्हिषी दीक्षातपसी श्रद्धातपसी मेधातपसी अध्ययनतपसी उलूखलमुसले आद्यव्साने श्रद्धामेधे ऋक्सामे वाङ्मनसे ११३ दामन्यादयः दामनि औलपि बैजवापि औदकि औदङ्कि आच्युतन्ति आच्युतदन्ति शाकुन्तकि आकिदन्ति औडवि काकदन्ति शात्रुंतपि सार्वसेनि बिन्दु बैन्दवि तुलभ मौञ्जायन काकन्दि सावित्रीपुत्र ११४ दासीभाराः दासीभारः देवहूतिः देवभीतिः देवलातिः वसुनीतिः औषधिः चन्द्रमाः ११५ दिशादयः दिश् वर्ग्यादयः वर्ग पूग गण पक्ष धाय्य मित्र मेधा अन्तर पथिन् रहस् अलीक उखा साक्षिन् देश आदि अन्त मुख जघन मेघ यूथ उदकात् संज्ञायाम् न्याय वंश वेश काल आकाश ११६ अथ दिवादिगणः अथ दिवादयः षड्विंशतिः परस्मैभाषाः दिवु क्रीडाविजिगीषाव्यवहारद्युतिस्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु षिवु तन्तुसन्ताने । स्रिवु गतिशोषणयोः । ष्ठिवु निरसने । ष्णुसु अदने । आदान इत्येके । अदर्शन इत्यपरे । ष्णसु निरसने । क्नसु हरणदीप्त्योः । व्युष दाहे । प्लुष च । नृती गात्रविक्षेपे । त्रसी उद्वेगे । कुक्थ पूतीभावे । पुथ हिंसायाम् । गुध परिवेष्टने । क्षिप प्रेरणे । अनुदात्तः । पुष्प विकसने । तिम तीम ष्टिम ष्टीम आर्द्रीभावे । व्रीड चोदने लत्तयां च । ईष गतौ । षह षुह चक्यर्थे । जृष् झॄष् वयोहानौ । इति दिवादय उदात्ता उदात्तेतः अथ द्वावात्मनेभाषौ षूङ् प्राणिप्रसवे । दूङ् परितापे । इत्युदात्तौ अथ दीङादय एकादश आत्मनेभाषाः दीङ् क्षये । डीङ् विहायसा गतौ । घीङ् आधारे । मीङ् हिंसायाम् । रीङ् श्रवणे । लीङ् श्लेषणे । व्रीङ् वृणोत्यर्थे वृत् स्वादय ओदितः पीङ् पाने । माङ् माने । ईङ् गतौ । प्रीङ् प्रीणने । इति दीङादय अनुदात्ता डीङ् तुदात्तः अथ चत्वारः परस्मैभाषाः शो तनूकरणे । छो धेदने । षो अन्तकर्मणि । दो अवखण्डने । स्यतिप्रभृतयोऽनृदात्ताः अथ पञ्चदशात्मनेभाषाः जनी प्रादुर्भावे । दीपी दीप्तौ । पूरी आप्यायने । तूरी गतित्वरणहिंसनयोः । धूरी गूरी हिंसागत्योः । घूरी जूरी हिंसावयोहान्योः । चूरी दाहे । तप ऐश्वर्ये । वावृतु वरणे । क्लिश उपतापे । काशृ दीप्तौ । वाशृ शब्दे । इति तपिवर्जमुदात्ता अनुदात्तेतः । अथ द्वावुभयतोभाषौ मृष तितिक्षायाम् । ईशुचिर् पूतीभावे । उदात्तौ स्वरितेतौ अथ त्रय उभयतोभाषाः णह बन्धने । रञ्ज रागे । शप आक्रोशे । इत्यनुदात्ताः स्वरितेतः अथैकादश आत्मनेभाषाः पद गतौ । खिद दैन्ये । विद सत्तायाम् । बुध अवगमने । युध सम्प्रहारे । अनोरुध कामे । अण प्राणने अन इत्येके उदात्तः । मन ज्ञाने । युज समाधौ । सृज विसर्गे । लिश अल्पीभावे । इत्यनुदात्ता अनुदात्तेतः अथा गणान्ता एकसप्ततिः परस्मैभाषाः राधोऽकर्मकाद् वृद्धावेव व्यध ताडने । पुष पुष्टौ । शुष शोषणे । तुष प्रीतौ । दुष वैकृत्ये । श्लिष आलिङ्गने । शक विभाषितो मर्षणे । ञिष्विदा गात्रप्रक्षरणे । क्रुध क्रोधे । क्षुध बुभुक्षायाम् शुध शौचे । षिधु संराद्धौ । इत्यनुदात्ता उदात्तेतः रध हिंसासंराध्योः । णश अदर्शने । तृप प्रीणने । दृप हर्षमोहनयोः । द्रुह जिघांसायाम् । मुह वैचित्ये । ष्णुह उद्गिरणे । ष्णिह प्रीतौ । वृत् रधादयः इत्युदात्ता उदात्तेतस्तृपिदृपी त्वनुदात्तौ अथ शमादयः शमु उपशमे । तमु काङ्क्षायाम् । दमु उपशमे । श्रमु तपसि खेदे च । भ्रमु अनवस्थाने । क्षमु सहने । क्लमु श्लानौ । मदी हर्षे । इत्यष्टौ शमादयः असु क्षेपणे । यसु प्रयत्ने । जसु मोक्षणे । तसु उपक्षये । दसु च । वसु स्तम्भे । बादिरित्येके । व्युष विभागे । ओष्ठ्यादिदेन्त्यान्तो ब्युस इत्यन्ये । अयकारं बसु इत्यपरे । प्लुष दाहे । विस प्रेरणे । कुस संश्लेषणे । बुस उत्सर्गे । मुस खण्डने । मसी परिणामे । समी इत्येके । लुठ विलोडने । उच समवाये । भृशु भ्रंशु अधःपतने । वृश वरणे । कृश तनूकरणे । ञितृष पिपासायाम् । हृष तुष्टौ । रुष रिष हिंसायाम् । डिप क्षेपे । कुप क्रोधे । गृप व्याकुलत्वे । युप रुप लुप विमोहने । लुभ गार्ध्ये । क्षुभ सञ्चलने । णभ तुभ हिंसायाम् । क्लिदू आर्द्रीभावे । ञिमिदा स्नेहने । ञिक्ष्विदा स्नेहनमोचनयोः । ऋधु वृद्धौ । गृधु अभिकाङ्क्षायाम् वृत् इत्युदात्ता उदात्तेतः इति ११७ दृढादयः दृढ वृढ परिवृढ भृश कृश वक्र श्क्रु चुक्र आम्र कृष्ट लवण ताम्र शीत उष्ण जड बधिर पण्!डित मधुर मूर्ख मूक वेर् यातलात मतिमनस्शारदानाम् समः मति मनसोः जवन ११८ देवपथादयः देवपथ हंसपथ वारिपथ रथपथ स्थलपथ करिपथ अजपथ राजपथ शतपथ शङ्कुपथ सिन्धुपथ सिद्धगति उष्ट्रग्रिव वामरज्जु हस्त इन्द्र दण्ड पुष्प मत्स्य आकृतिगणः अयम् ११९ द्युतादयः द्युत श्विता ञिमिदा ञिश्विदा रुच घुट रुट लुट लुठ श्भु क्षुभ णभ तुभ स्रन्सु ध्वन्सु भ्रन्सु ध्वन्सु स्रन्भु वृतु वृधु शृधु स्यन्दू कृपू १२० द्वारादयः द्वार स्वर स्वग्राम व्यल्कश स्वस्ति स्वर् स्फ्याकृत् स्वादुमृदु श्वस् श्व १२१ द्विदण्ड्यादयः द्विदण्डि द्विमुसलि उभाञ्जलि उभयाञ्जलि उभदन्ति उभयदन्ति उभहस्ति उभयहस्ति उभकर्णि उभयकर्णि उभपाणि उभयपाणि उभबाहु उभयबाहु एकपदि प्रोष्ठपदि आढ्यपदि सपदि निकुच्यकर्णि संहतपुच्छि अन्तेवासि १२२ द्व्यादयः द्वि युष्मद् अस्मद् भवतु किम् १२३ धूमादयः धूम षडण्ड शशादन अर्जुनाव माहकस्थली आनकस्थली माहिषस्थली मानस्थली अट्टस्थलीमद्रुकस्थली माहिषस्थली मानस्थली राजस्थली विदेह राजगृह सात्रासाह शष्प मित्रवर्ध्र भक्षाली मद्रकूल आजीकूल द्व्याहाव त्र्याहाव संस्फीय बर्बर वर्ज्य गर्त आनर्त माठर पाथेय घोष पल्ली आराज्ञी धार्तराज्ञी आवय तीर्थ कुलात् सौवीरेषु समुद्रात् नावि मनुष्ये च कुक्षि अन्तरीप द्वीप अरुण उज्जयनी पट्टार दक्षिणायन साकेत १२४ नडादयः नड चर बक मुञ्ज इतिक इतिश उपक एक लमक शलङ्कुशलङ्कं च सप्तल वाजप्य तिक अग्निशर्मन्वृशगणे प्राण नर सायक दास मित्र द्वीप पिङ्गर पिङ्गल किंकर किंकल कातर कातल काश्यप काश्य काल्य अज अमुष्य कृष्णरणौब्राह्मणवासिष्ठे अमित्र लिगु चित्र कुमार क्रोष्टु क्रोष्टं च लोह दुर्ग स्तम्भ शिंशपा अग्र तृण शकट सुमनस् सुमत मिमत ऋच् जलंधर अध्वर युगंधर हंसक दण्!डिन् हस्तिन् पिण्ड पञ्चाल चमसिन् सुकृत्य स्थिरक ब्राह्मण चटक बदर अश्वल खरप लङ्क इन्ध अस्त्र कामुक ब्रह्मदत्त उदुम्बर शोण अलोह दण्डप १२५ नडादयः नड प्लक्ष बिल्वकादयः बिल्व वेणु वेत्र वेतस इक्षु काष्ठ कपोत तृण क्रुञ्चा ह्रस्वत्वं च तक्षन् नलोपश्च १२६ नद्यादयः नदी मही वाराणसी श्रावस्ती कौशाम्बी वनकौशाम्बी काशपरी काशफरी खादिरी पूर्वनगरी पाठा माया शाल्वा दार्वा सेतकी वडवायाः वृषे १२७ नन्द्यादयः नन्दिवाशिमदिदूषिसाधिवर्धिशोभिरोचिभ्यः ण्यन्तेभ्यः संज्ञायाम् नन्दनः वासनः मदनः दूसणः साधनः वर्धनः शोभनः रोचनः सहितपिदमः संज्ञायाम् सहनः तपनः दमनः जल्पनः रमणः दर्पणः संक्रन्दनः संकर्षणः संहर्षणः जनार्दनः यवनः मधुसूदनः विभीषणः लवणः चित्तविनासनः कुलदमनः शत्रुदमनः १२८ निरुदकादीनि निरुदक निरुपल निर्मक्षिक निर्मशक निष्कालक निष्कालिक निष्पेश दुस्तरीप निस्तरीप निस्तरीक निरजिन उदजिन उपाजिन परेर्हस्तपादकेशकर्षाः १२९ निष्कादयः निष्क पण पाद माष वाह द्रोण षष्टि १३० न्यङ्क्वादयः न्यङ्कु मद्गु भृगु दूरेपाक फलेपाक क्षणेपाक दूरेपाका फलेपाका दूरेपाकु फलेपाकु तक्र वक्र व्यतिषङ्ग अनुषङ्ग अवसर्ग उपसर्ग श्वपाक मांसपाक मूलपाक कपोतपाक उलूकपाक संज्ञायाम् मेघनिदाघावदाघार्घाः न्यग्रोध १३१ पक्षादयः पक्ष तुक्ष तुष कुण्ड अण्ड कम्बलिका वलिक चित्र अस्ति पथिन् पन्थ च कुम्भ सीरक सरक सकल सरस समल अतिश्वन् रोमन् लोमन् हस्तिन् मकर लोमक शीर्ष निवात पाक सिंहक अङ्कुश सुवर्णक हंसक हिंसक कुतस् बिल खिल यमल हस्त कला सकर्णक १३२ पचादयः पच वच वप वद चल पत नदट् भषत् प्लवट् चरट् गरट् तरट् चरट् गाहट् सूरट् देवट् दोषट् रज मर क्षम सेव मेष कोप मेध नर्त व्रण दर्श सर्प दम्भ दर्प जारभर श्वपच आकृतिगणः अयम् १३३ पदादयः पद् दत् नस् मास् हृद् निश् असन् यूषन् दोषन् यकन् शकन् उदन् आसन् १३४ पर्पादयः पर्प अश्व अश्वत्थ रथ जाल न्यास व्याल पाद १३५ पर्श्वादयः पर्शु असुर रक्षस् बाह्लीक वस्यस् वसु मरुत् सत्वत् दशार्ह पिशाच अशनि कार्षापण १३६ पलद्यादयः पलदी परिषद् रोमक वाहीक कलकीट बहुकीट जलकीट कमलकीट कमलकीकर कमलभिदा गौष्ठी नैकती परिखा शूरसेन गोमती पटच्चर उदपान यकृत्लोम १३६ पलाशादयः पलाश खदिर शिंशपा स्पन्दन पूलाक करीर शिरीष यवास विकङ्कत १३७ पात्रेसमितादयः पात्रेसमिताः पात्रेबहुलाः उदुम्बरमशकः उदुम्बरकृमिः कूपकच्छपः अवटकच्छपः कूपमण्डूकः कुम्भमण्डूकः उदपानमण्डूकः नगरकाकः नगरवायसः मातरिपुरुषः पिण्डीश्रुः पितरिशूरः गेहेशूरः गेहेनर्दी गेहेक्ष्वेडी गेहेविजिती गेहेव्याडः गेहेमेही गेहेदाही गेहेदृप्तः गेहेधृष्टः गर्भेतृप्तः आखनिकबकः गोष्ठेशूरः गोष्ठेविजिती गोष्ठेक्ष्वेदी कर्णेटिरिटिरा कर्णेचुरुचुरा आकृतिगणः अयम् १३८ पामादयः पामन् वामन् वेमन् हेमन् श्लेष्मन् कद्रू बलि सामन् ऊष्मन् कृमि अङ्गात् कल्याणे शाकीपलालीदद्रूणां ह्रस्वत्वं च विस्वग् इत्युत्तरपदलोपश्चाकृतसंधेः लक्ष्म्याः अच्च १३९ पारस्करप्रभृतीनि पारस्करः देशः कारस्करः वृक्षः रथ्स्पा नदी किष्कुः प्रमाणम् किष्किन्धा नगरी तद्बृहतोः करपत्योः चोरदेवतयोः सुट् तलोपश्च तस्करः चोरः बृहस्पतिः देवता प्रात् तुम्पतौ गवि कर्तरि प्रस्तुम्पतिः गौः १४० पाशादयः पाश तृण धूम वात अङ्गार पाटल पोत गल पिटक शकट हल नट वन १४१ पिच्छादयः पिच्छा उरस् धुवक ध्रुवक जटाघटकालाः क्षेपे वर्ण उदक पङ्क प्रज्ञा १४२ पील्वादयः पीलु कर्कन्धु शमी करीर कुवल बदर अश्वत्थ खदिर १४३ पुरोहितादयः पुरोहित राजासे ग्रामिक पिण्!डिक सुहित बाल मन्द खण्!डिक दण्!डिक वर्मिक कर्मिक धर्मिक सितिक सूतिक मूलिक तिलक अञ्जलिक अञ्जनिक रूपिक पुत्रिक अविक छत्त्रिक पर्षिक पथिक चर्मिक प्रतीक सारथि आस्तिक सूचिक संरक्ष सूचक नास्तिक अजानिक शाक्वर नगर चूडिक १४४ पुषादयः पुष शुष तुष दुष श्लिष शक ष्विदा क्रुध क्षुध श्धु षिधु रध णश तृप दृप द्रुह मुह ष्णुह ष्णिह शमु तमु दमु श्रमु भ्रमु क्षमू क्लमु मदी असु यसु जसु तसु दसु वसु व्युष प्लुष बिस कुस बुस मुस मसी लुट उच भृशु वृष कृश ञितृश हृष रुष दिप कुप गुप युप रुप लुप स्तूप लुभ क्षुभ नभ तुभ क्लिदू ञिमिदा ञिक्ष्विदा ऋधु गृधु वृत् १४५ पुष्करादयः पुष्कर पद्म उत्पल तमाल कुमुद नड कपित्थ बिस मृणाल कर्दम शालूक विगर्ह करीष शिरीष यवास प्रवास हिरण्य कैरव कल्लोल तट तरंग पङ्कज सरोज राजीव नालीक सरोरुह पुटक अरविन्द अम्भोज अब्ज कमल पयस् १४६ पृथ्वादयः पृथु मृदु महत् पटु तनु लघु बहु साधु आशु उरु गुरु बहुल खण्ड दण्ड चण्ड अकिंचन बाल होड पाक वत्स मन्द स्वादु ह्रस्व दीर्घ प्रिय वृष ऋजु क्षिप्र क्षुद्र अणु १४७ पृषोदरादीनि पृषोदर पृषोत्थान बलाहक जीमूत श्मशान उलूखल पिशाच बृसी मयूर आकृतिहणः अयम् १४८ पैलादयः पैल शालङ्कि सात्यकि सात्यंकमि राहवि रावणि औदञ्चि औदव्रजि औदमेधि औदमज्जि औदभृज्जि दैवस्थानि पैङ्गलौदायनि राहक्षति भौलिङ्गि राणि औदन्यि औद्गाहमानि औज्जिहानि औदशुद्धि तद्राजाच्च अणः आकृतिगणः अयम् १४९ प्रगद्यादयः प्रगदिन् मगदिन् मददिन् कविल धण्!डित गदित चूडार मडार मन्दर कोविदार १५० प्रज्ञादयः प्रज्ञ वणिज् उशिज् उष्णिज् प्रत्यक्ष विद्वस् विदन् षोडन् विद्या मनस् श्रोत्रं शरीरे जुह्वत् कृष्ण मृगे चिकीर्षत् चोर शत्रु योध चक्षुस् वसु एनस् मरुत् क्रुञ्च सत्वन्तु दशार्ह वयस् व्याकृत असुर रक्षस् पिशाच अशनि कार्षापण देवता बन्धु १५१ प्रतिजनादयः प्रतिजन इदंयुग संयुग समयुग परयुग परकुल परस्यकुल अमुष्यकुल सर्वजन विश्वजन महाजन पञ्चजन १५२ प्रवृद्धादयः प्रवृद्धम् यानम् प्रवृद्धःवृषलः प्रयुताः सूष्णवः आकर्षे अवहितः अवहितः भोगेषु खट्वारूढः कविशस्तः १५३ प्रादयः प्र परा अप सम् अनु अव निस् निर् दुस् दुर् वी आण् नि अधि अपि अति सु उद् अभि प्रति परि उप १५४ प्रियादयः प्रिया मनोज्ञा कल्याणी सुभगा दुर्भगा भक्तिः सचिवा स्वा कान्ता क्षान्ता समा चपला दुहिता वामना तनया १५५ प्रेक्षादयः प्रेक्षा फलका बन्धुका ध्रुवका क्षिपका न्यग्रोध इक्कट कङ्कट संकट कट कूप बुक पुक पुट मह परिवाप यवाष ध्रुवका गर्त कूपक हिरण्य १५६ प्लक्षादयः प्लक्ष न्यग्रोध अश्वत्थ इङ्गुदी शिग्रु रुरु कक्षतु बृहती १५७ प्वादयः पूञ् लूञ् स्तॄन् कॄञ् वॄञ् धूञ् शॄ पॄ वॄ भॄ मॄ दॠ जॄ नॄ कॄ ॠ गॄ ज्या री ली व्ली प्ली १५८ फणादयः फण राजृ टुभ्राजृ टुभ्राशृ टुभ्लाशृ स्यमु स्वन १५९ बलादयः बल चुल नल दल वट लकुल उरल पुल मूल उल डुल वन कुल १६० बलादयः बल उत्साह उद्भास उद्वास उद्दास शिखा कुल चूडा सुल कूल आयाम व्यायाम उपयाम आरोह अवरोह परिणाह युद्ध १६१ बह्वादयः बहु पद्धति अञ्चति अङ्कति अंहति शकटि शक्तिः शस्त्रे शारि वारि राति राधि शाधि अहि कपि यष्टि मुनि इतः प्रायङ्गात् कृतिकारात् अक्तिनः सर्वतः अक्तिन्नर्थात् इत्यन्ये चण्ड अराल कृपण कमल विकट विशाल विशङ्कट भरुज ध्वज चन्द्रभागा नद्याम् कल्याण उदार पुराण अहन् क्रोड नख खुर शिखा वाल शफ गुद आकृतिगणः अयम् १६२ बाह्वादयः बाहु उपबाहु उपवाकु निवाकु शिवाकु वटाकु उपनिन्दु वृशली वृकला चूडा बलाका मूषिका कुशला छगला ध्रुवका धुवका सुमित्रा दुर्मित्रा पुष्करसद् अनुहरत् देवशर्मन् अग्निशर्मन् भद्रशर्मन् सुशर्मन् कुनामन् सुनामन् पञ्चन् सप्तन् अष्टन् अमितौजसः सलोपश्च सुधावत् उदञ्चु शिरस् माष शराविन् मरीची क्षेमवृद्धिन् शृङ्खलतोदिन् खरनादिन् नगरमर्दिन् प्राकारमर्दिन् लोमन् अजीगर्त कृष्ण युधिष्ठिर अर्जुन साम्ब गद प्रद्युम्न राम उदङ्क उदकः संज्ञायाम् सम्भूयस् अम्भसोः सलोपश्च आकृतिगणः अयम् १६३ बिदादयः बिद उर्व कश्यप कुशिक भरद्वाज उपमन्यु किलात कन्दर्प विश्वानर ऋष्टिसेण ऋतभाग हर्यश्व प्रियक आपस्तम्ब कूर्चवार शरद्वत् श्नुक धेनु गोपवन शिग्रु बिन्दु भोगक भजन शमिक अश्वावतान श्यामाक श्यामक श्यावलि श्यापर्ण हरितादयः हरित किंदास बह्यास्क अर्कजूष बध्योग विष्णु वृद्ध प्रतिबोध रथीतर रथंतर गविष्ठिर निषाद शबर अलस मठर मृदाकु सृपाकु मृदु पुनर्भू पुत्र दुहितृ ननान्दृ परस्त्री परशुंच १६४ बिल्वकादयः बिल्व वेणु वेत्र वेतस इक्षु काष्ठ कपोत तृण क्रुञ्चा ह्रस्वत्वं च तक्षन् न लोपश्च १६५ बिल्वादयः वि व्रीहि काण्ड मुद्ग मसूर गोधूम इक्षु वेणु गवेधुक कर्पासी पाटली कर्कन्धू कुटीर १६६ ब्राह्मणादयः ब्राह्मण वाडव माणव अर्हतः नुम् च चोर धूर्त आराधय विराधय अपराधय उपराधय एकव्हाव द्विभाव त्रिभाव अन्यभाव अक्षेत्रज्ञ संवादिन् संवेशिन् सम्भाषिन् बहुभाषिन् शीर्षघातिन् विघातिन् समस्थ विषमस्थ परमस्थ मध्यमस्थ अनीश्वर कुशल चपल निपुण पिश्नु कुतूहल क्षेत्रज्ञ निश्न बालिश अलस दुष्पुरुष कापुरुष राजन् गणपति अधिपति गडुल दायाद विशस्ति विषम विपात निपात सर्ववेदादिभ्यः स्वार्थे चतुर्वेदस्योभयपदवृद्धिश्च शौटीर आकृतिगणः अयम् १६७ भर्गादयः भर्ग करुश केकय कश्मीर साल्व सुस्थाल उरस् कौरव्य १६८ भस्त्रादयः भस्त्रा भरट भरण शीर्षभार शीर्षेभार अंसभार अंसेभार १६९ भिक्षादयः भिक्षा गर्भिणी क्षेत्र करीष अङ्गार चर्मन् सहस्र युवति पदाति पद्धति अथर्वन् दक्षिणा भूत विषय श्रोत्र १७० भिदादयः भिदा विदारणे छिदा द्वैधीकरणे विदा क्षिपा गुहा गिर्योषध्योः स्रद्धा मेधा गोधा आरा शस्त्र्याम् हारा कारा बन्धने क्षिया तारा ज्योतिषि धारा प्रपतने रेखा चूडा पीडा वपा वसा वत्त क्रपेः सम्प्रसारणंच कृपा १७१ भीमादयः भीम भीष्म भयानक वह चरु प्रस्कन्दन प्रपतन समुद्र स्रुव स्रुक् सृष्टि रक्षस् शन्कु सुक शङ्कुसुक मूर्ख खलति १७२ अथ भ्वादिगणः भू सत्तायाम् । उदात्तः परस्मैभाषः अथ तवर्गीयान्ताः एधादयः कथ्यन्ताः षट्त्रिंशदात्मनेभाषाः एध वृद्धौ । स्पर्द्ध सङ्घर्षे । [Ê] गाधृ प्रतिष्ठालिप्सयोर्ग्रन्थे च [Ê]। वाधृ विलोडने । नाथृ नाधृ याच्ञोपतापैश्वर्याऽऽशीःषु । दध धारणे । स्कुदि आप्रवणे । श्विदि श्वैत्ये । वदि अभिवादनस्तुत्योः । भदि कल्याणे सुखे च । मदि स्तुतिमोदमदस्वप्नकान्तिगतिषु । स्पदि किञ्चिच्चलने क्लिदि परिदेवने मुद हर्षे । दद दाने । ष्वद स्वर्द आस्वादने । उर्द माने क्रीडायां च । कुर्द खुर्द गुर्द गुद क्रीडायामेव । षूद क्षरणे । ह्राद अव्यक्ते शब्दे । ह्लादी सुखे च । स्वाद आस्वादने । पर्द कुत्सिते शब्दे । यती प्रयत्ने । युतृ जुतृ भासने । विथृ वेथृ याचने । श्रथि शैथिल्ये । ग्रथि कौटिल्ये । कत्थ श्लाघायाम् । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथातादयः शुन्ध्यन्ता अष्टात्रिंशत् परस्मैभाषाः अत सातत्युगमने । चिती सञ्ज्ञाने । च्युतिर् आसेचने । श्च्युतिर् क्षरणे । मन्थ विलोडने । कुथि पुथि लुथि मथि हिंसासंक्लेशनयोः । षिधु गत्याम् । षिधू शास्त्रे माङ्गल्ये च स्वाटृ भक्षणे । खद स्थैर्ये हिंसायां च बद स्थैर्ये । गद व्यत्कायां वाचि । रद विलेखने । णद अव्यक्ते शब्दे । अर्द गतौ याचने च । नर्द गर्द शब्दे । तर्द हिंसायाम् । कर्द कुत्सिते शब्दे । खर्द दन्दशूके । अति अदि बन्धने । इदि परमैश्वर्ये । बिदि भिदि अवयवे । गडि वदनैकदेशे । णिदि कुत्सायाम् । दटुनदि समृद्धौ । चदि आह्लादने दीप्तौ च । त्रदि चेष्टायाम् । कदि क्रदि क्लदि आह्वाने रोदने च । क्लिदि परिदेवने । शुन्ध शुद्धौ । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथ कवर्गीयान्ताः शीकादयः श्लाघ्य्रन्ता द्विचत्वारिंशदात्मनेभाषाः शीकृ सेचने । लोकृ दर्शने । श्लोकृ सङ्घाते । द्रेकृ ध्रेकृ शब्दोत्साहयोः । रेकृ शङ्कायाम् । सेकृ स्रेकृ स्रकि श्रकि श्लकि गत्यर्थाः । शकि शङ्कायाम् । अकि लक्षणे । वकि कौटिल्ये । मकि मण्डने । कक लौल्ये । कुक वृक आदाने । चक तृप्तौ प्रतिघाते च । ककि वकि मगि श्वकि त्रकि ढौकृ त्रौकृ ष्वस्क वस्क मस्क टिकृ टीकृ तिकृ तीकृ रघि लघि गत्यर्थाः । लघि भोजननिवृत्तावपि । अघि वधि मघि गत्याक्षेपे । मघि कैतवे च । राघृ लाघृ द्राघृ ध्राधृ सामथ्ये । द्राघृ आयामे च । श्लाघृ कत्थने । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ फक्कादयःशिघ्यन्ता द्विपञ्चाशत् परस्मैभाषाः फक्क नीचैर्गतौ । तक हसने । तकि कृच्छ्रजीवने । बुक्क भषणे । कख हसने । ओखृ राखृ लाखृ द्राखृ धाखृ शोषणालमर्थयोः । शाखृ श्लाखृ व्याप्तौ उख उखि वख वखि मख मखि एख एखि रख रखि लख लखि इख इखि ईखि वल्ग रगि लगि अगि वगि मगि तगि त्वगि श्रगि श्लगि इगि रिगि लिगि गत्यर्थाः । रिख त्रख त्रखि शिखि इत्यपि केचित् । त्वगि कम्पेन च । युगि जुगि बुगि वर्जने । घघ हसने । मघिह् मण्डने । लघि शोषणे । शिघि आघ्राणे । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथ चवर्गीयान्ताः वर्चादय ईजन्ता एकविंशतिरात्मनेभाषाः वर्च दीप्तौ । षच सेचने सेवने च । लोचृ दर्शने । शच व्यक्तायां वाचि । श्वच श्वचि गतौ । कच बन्धने । कचि काचि दीप्तिबन्धनयोः । मच मुचि कल्कने । मचि धारणोच्छ्रायपूजनेषु । पचि व्यक्तीकरणे । ष्टुच प्रसादे । ऋज गतिस्थानार्जनोपार्जनेषु । ऋजि भृजी भर्जने । एजृ भ्रेजृ भ्राजृ दीप्तौ । ईज गतिकुत्सनयोः । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ शुचादयो व्रज्यन्ता द्विसप्ततिः परस्मैभाषाः शुच शोके । कुच शब्दे तारे । कुञ्च क्रुञ्च गतिकौटिल्याल्पीभावयोः । लुञ्च अपनयने । अञ्चु गतिपूजनयोः । वञ्चु चञ्चु तञ्चु त्वञ्चु म्रौञ्चु म्लुञ्चु म्रुचु म्लुचु गत्यर्थाः । ग्रुचु ग्लुचु कुजु खुजु स्तेयकरणे । ग्लुञ्चु षस्ज गतौ । गुज गुजि अव्यक्ते शब्दे । अर्च पूजायाम् । म्लेच्छ अव्यक्ते शब्दे । लछ लाछि लक्षणे वाछि इच्छायाम् । आछि आयामे । ह्रीछ लत्तयाम् । हुर्छा कौटिल्ये । मुर्छा मोहसमुच्छ्राययोः । स्फुर्छा विस्तृतौ । युच्छ प्रमादे । उच्छि उञ्छे । उच्छी विवासे । ध्रज ध्रजि धृज धृजि ध्वज ध्वजि गतौ । कूज अव्यक्ते शब्दे । अर्ज षर्ज अर्जने । गर्ज शब्दे । तर्ज भर्त्सने । कर्ज व्यथने । खर्ज पूजने च । अज गतिक्षेपणयोः । तेज पालने । खज मन्थे । खजि गतिवैकल्ये । एजृ कम्पने । टुओस्फूर्जा वज्रनिर्घोषे । क्षि क्षये । क्षीज अव्यक्ते शब्दे । लज लजि भर्जने । लाज लाजि भर्त्सने च । जज जजि युद्धे । तुज हिंसायाम् । तुजि पालने च । गज गजि गृज गृजि मुज मुजि शब्दार्थाः । गज मदे च । वज व्रज गतौ । इति क्षिवर्जमुदात्ता उदात्तेतः अथ टवर्गीयान्ताः अट्टादयः शाड्र्यन्ताः षट्त्रिंशदात्मनेभाषाः अट्ट अतिक्रमणहिंसनयोः । वेष्ट वेष्टने । चेष्ट चेष्टायाम् । गोष्ट लोष्ट सङ्घाते । घट्ट चलने । स्फुट विकसने । अठि गतौ । वठि एकचर्यायाम् । मठि कठि शोके । मुठि पालने । हेठ विबाधायाम् । एठ च । हिडि गत्यनादरयोः । हुडि सङ्घाते । कुडि दाहे । वडि विभाजने । मडि च । भडि परिभाषणे । पिडि सङ्घाते । मुडि मार्जने । तुडि तोडने । हुडि वरणे चडि कोपे । शडि रुजायां सङ्घाते च । तडि ताडने । पडि गतौ । कडि मदे । खडि मन्थे । हेडृ होडृ अनादरे । वाडृ आप्लाव्ये । द्राडृ ध्राडृ विशरणे । शाडृ श्लाःघायाम् । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ शौट्रादयो गड्यन्ता द्वाशीतिः परस्मैभाषाः शौटृ गर्वे । यौटृ बन्धने । भ्रेटृ म्रेडृ उन्मादे । कटे वर्षावरणयोः । चटे इत्येके । अट पट गतौ । रट परिभाषणे । लट बाल्ये । शट रुजाविशरणगत्यवसादनेषु । वट वेष्टने । किट खिट त्रासे । शिट षिट अनादरे । जट झट सङ्घाते । भट भृतौ । तट उच्छ्राये । खट् काङ्क्षायाम् । णट नृतौ । पिट शब्दसङ्घातयोः । हट दीप्तौ च । षट अवयवे । लुट विलोडने । चिट परप्रेष्ये । विट शब्दे । बिट आक्रोशे । हिट इत्येके । इट किट कटी गतौ । मडि भूषायाम् । कुडि वैकल्ये । मुट पुट मर्दने । चुडि अल्पीभावे । मुडि खण्डने । पुडि चेत्येके । रुटि लुटि स्तेये । रुठि लुठि इत्येके । रुडि लुडि इत्यपरे । स्फुटिर् विशरणे । स्फुटि इत्यपि केचित् । पठ व्यक्तायां वाचि । वठ स्थौल्ये । मठ मदनिवासयोः । कठ कृछ्रजीवने । रठ परिभाषणे । रट् इत्येके । हठ प्लुतिशठत्वयोः । वलात्क्रार इत्येके । रुठ लुठ उठ उपघाते । ऊठ इत्येके । पिठ हिंसासंक्लेशनयोः । शठ कैतवे च । शुठ प्रतिघाते । शुठि इत्येके । कुठि च । लुठि आलस्ये प्रतिघाते च । शुठि शोषणे । रुठि लुठि गतौ चुडु भावकरने । अडु अभियोगे । बडु कार्कश्ये । क्रीडृ विहारे । तुडृ तोडने । तूडृ इत्येके । हुडृ हूडृ होडृ गतौ । रौडृ अनादरे । रोडृ लोडृ उन्मादे । अड उद्यमने । लड विलासे । लल इत्येके कड मदे । कडि इत्येके । गडि वदनैकदेशे । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथ पवर्गीयान्ताः तिपादयःष्टुभ्यन्ताश्चत्वारिंशदात्मनेभाषाः तिपृ तेपृ ष्टिपृ ष्टेपृ क्षरणार्थाः । तेपृ कम्पने च ग्लेप दैन्ये । टुवेपृ कम्पने । केपृ गेपृ ग्लेपृ च । मेपृ रेपृ लेपृ गतौ । हेपृ धेपृ च । अपूष् लत्तयाम् । कपि चलने । रबि लबि अबि शब्दे । लबि अवस्रंसने च । कबृ वर्णे । क्लीबृ अधार्ष्ट्ये । क्षीबृ मदे । शीभृ कत्थने । चीभृ च । रेभृ शब्दे । अभि रभि इत्येके । ष्टभि स्कभि प्रतिबन्धे । जभी जृभि गात्रविनामे । शल्भ कत्थने । वल्भ भोजने । गल्भ धार्ष्ट्ये । श्रम्भु प्रमादे । दन्त्यादिश्च । ष्टुभु स्तम्भे । इति तिपिवर्जमुदात्ता अनुदात्तेतः अथ गुपादयः शुम्भ्यन्ता एकचत्वारिंशत् परस्मैभाषाः गुपू रक्षणे । धूप सन्तापे । जप जल्प्ल व्यक्तायां वाचि जप मानसे च । चप सान्त्वने । षप समवाये । रप लप व्यक्तायां वाचि । चुप मन्दायां गतौ । तुप तुम्प त्रुप त्रुम्प तुफ तुम्फ त्रुफ त्रुम्फ हिंसार्थाः । पर्प रफ रफि अर्ब पर्ब लर्ब बर्ब मर्ब कर्ब खर्ब गर्ब शर्ब षर्ब चर्ब गतौ । चर्ब अदने च । कुबि आच्छादने । लुबि तुबि अर्दने । चुबि वक्त्रसंयोगे । षृभु षृम्भु हिंसार्थौ । षिभु षिम्भु इत्येके । शुभ शुम्भ भाषणे । भासने इत्येके । हिंसायामित्यन्ये । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथाऽनुनासिकान्ताः घिन्यादयो कम्यन्ता दशात्मनेभाषाः घिणि घुणि घृणि ग्रहणे । घुण घूर्ण भ्रमणे । षण व्यवहारे स्तुतौ च । पन च । माम क्रोधे । क्षमूष् सहने । कमु कान्तौ । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथाणादयः क्रम्यन्तास्त्रिंशत्परस्मैभाषाः अण रण वण भण मण कण क्वण व्रण भ्रण घ्वण शब्दार्थाः । धण इत्येके । ओणृ अपनयने । शोणृ वर्णगत्योः । श्रोणृ सङ्घाते । श्लोणृ च । पैणृ गतिप्रेरणश्लेषणेषु । ध्रण बण शब्दे । कनी दीप्तिकान्तिगतिषु । ष्टन वन शब्दे । वन षण सम्भक्तौ । अम गत्यादिषु । द्रम हम्म मीमृ गतौ । मीमृ शब्दे च । चमु धमु जमु झसु अदने । जिमु इत्येके । क्रमु पादविक्षेपे । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथायादयो रेवत्यन्ता सप्तत्रिंशदात्मनेभाषाः अय वय पय मय चय तय णय गतौ । णय रक्षणे च । दय दानगतिरक्षणहिंसाऽऽदानेषु । रय गतौ । ऊयी तन्तुसन्ताने । पूयी विशरणे दुर्गन्धे च क्नूयी शब्दे उन्दे च । क्ष्मायी विधूनने । स्फायी ओप्यायी वृद्धौ । तायृ सन्तानपालनयोः । शल चलनसंवरणयोः । वल वल्ल संवरणे सञ्चलने च । मल मल्ल धारणे । भल भल्ल परिभाषणहिंसादानेषु । कल शब्दसङ्ख्यानयोः । कल्ल अव्यक्ते शब्दे । तेवृ देवृ षेवृ गेवृ ग्लेवृ पेवृ मेवृ म्लेवृ सेवने । शेवृ खेवृ केवृ इत्यप्येके । रेवृ प्लवगतौ । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ मव्यादयोऽवत्यन्ताः सप्तनवतिः परस्मैभाषाः मव्य बन्धने । सूर्क्ष्य ईर्क्ष्य ईर्ष्य ईर्ष्यार्थाः । हय गतौ । शुच्य चुच्य अभिषवे । हर्य्य गतिकान्त्योः । अल भूषणपर्याप्तिवारणेषु । ञिफला विशरणे । मील श्मील स्मील क्ष्मील निमेषणे । पील प्रतिष्टम्भे । णील वर्णे । शील समाधौ । कील बन्धने । कूल आवरणे । शूल रुजायां सङ्घाते च तूल निष्कर्षे । पूल सङ्घाते । मूल प्रतिष्ठायाम् । फल निष्पत्तौ । चुल्ल भावकरणे । फुल्ल विकसने । चिल्ल शैथिल्ये भावकरणे च । तिल तिल्ल गतौ । वेलृ चेलृ केलृ खेलृ क्ष्वेलृ वेल्ल चलने । पेलृ फेलृ खेलृ षेलृ शेलृ गतौ । स्खल सञ्चलने । खल सञ्चये च । गल अदने । षल गतौ । दल विशरणे । श्वल श्वल्ल आशुगमने । खोलृ खोरृ गतिप्रतिघाते । धोरृ गतिचातुर्ये । त्सर छद्मगतौ । क्मर हूर्छने । अभ्र वभ्र मभ्र चर गत्यर्थाः । चर भक्षणे च । ष्ठिवु निरसने । जि जये । जीव प्राणधारणे । पीव मीव तीव णीव स्थौल्ये । क्षिवु क्षेवु निरसने । उर्वी तुर्वी थुर्वी दुर्वी धुर्वी हिंसार्थाः । गुर्वी उद्यमने । मुर्वी बन्धने । पुर्व पर्व मर्व पूरणे । चर्व अदने । भर्व हिंसायाम् । कर्व खर्व गर्ब दर्पे । अर्व शर्व षर्व हिंसायाम् । इवि व्याप्तौ । पिवि मिवि णिवि सेवने । सेचने चेत्येके । हिवि दिवि धिवि जिवि प्रीणनार्थाः । रिवि रवि धवि गत्यर्थाः । कृवि हिंसाकरणयोश्च । मव बन्धने । अव रक्षणगतिकान्तिप्रीतितृप्त्यवगमप्रवेशश्रवणस्वाम्यर्थयाचनक्रियेच्छादीप्त्यवाप्त्यालिङ्गनहिंसादानभागवृद्धिषु । इति जयतिवर्जमुदात्ता उदात्तेतः । अथैक उभयतोभाषः धावु गतिशुद्ध्योः । उदात्तः स्वरितेत् अथोष्मान्ताः धुक्षादयो घृष्यन्ता द्विपञ्चाशदात्मनेभाषाः धुक्ष धिक्ष सन्दीपनक्लेशनजीवनेषु । वृक्ष वरणे । शिक्ष विद्योपादाने । भिक्ष भिक्षायामलाभे लाभे च । क्लेश अव्यक्तायां वचि बाधन इत्यन्ये । दक्ष वृद्धौ शीघ्रार्थे च । दीक्ष मौण्ड्ये ज्योपनयननियमव्रतादेशेषु । ईक्ष दर्शने । ईष गतिहिंसादर्शनेषु । भाष व्यक्तायां वाचि । वर्ष स्नेहने । गेषृ अन्विच्छायाम् । ग्लेषृ इत्यन्ये । पेषृ प्रयत्ने । जेषृ णेषृ एषृ प्रेषृ गतौ । रेषृ हेषृ ह्रेषृ अव्यक्ते शब्दे । कासृ शब्दकुत्सायाम् । भासृ दीप्तौ । णासृ रासृ शब्दे । णस कौटिल्ये । भ्यस भये । आडः शसि इच्छायाम् । ग्रसु ग्लसु अदने । ईह चेष्टायाम् । वहि महि वृद्धौ । अहि गतौ । गर्ह गल्ह कुत्सायाम् । बर्ह बल्ह प्राधान्ये । वर्ह वल्ह परिभाषणहिंसाच्छादनेषु । प्लिह गतौ । वेहृ जेहृ बाहृ प्रयत्ने । जेहृ गतावपि । द्राहृ निद्राक्षये । निक्षेप इत्येके । काशृ दीप्तौ । ऊह वितर्के । गाहू विलोडने । गृहू ग्लहू ग्रहणे । घुषि कान्तिकरणे । घष इति केचित् । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ घुषिरादयोऽर्हत्यन्ता एकनवत्तिः परस्मैभाषाः धुषिर् अविशब्दने । अक्षू व्याप्तौ । तक्षू त्वक्षू तनूकरणे । उक्ष सेचने । रक्ष पालने । णिक्ष चुम्बने । तृक्ष स्तृक्ष लक्ष गतौ । वक्ष रोषे । संघात इत्येके । मृक्ष सङ्घाते । म्रक्ष इत्येके । तक्ष त्वचने । पक्ष परिग्रह इत्येके । सूर्क्ष आदरे । काक्षि वाक्षि माक्षि काङ्क्षायाम् । द्राक्षि ध्राक्षि घ्वाक्षि घोरवासिते च । चूष पाने । तूष तुष्टौ । पूष वृद्धौ । मूष स्तेये । लूष रूष भूषायाम् । शूष प्रसवे । यूष हिंसायाम् । जूष च । भूष अलङ्करे । ऊष रुजायाम् । ईष उञ्छे । कष खष शिष जष झष शष वष मष रुष रिष हिंसार्थाः । भष भर्त्सने । उष दाहे । जिषु विषु मिषु सेचने । पुष पुष्टौ । श्रिषु श्लिषु प्रषु प्लुषु दाहे । पृषु वृषु मृषु सेचने । मृषु सहने च । इतरौ हिंसासंक्लेशनयोश्च । घृषु सङ्घर्षे । हृषु अलीके । तुस ह्रस ह्लस रस शब्दे । लस श्लेषणक्रीडनयोः । घस अदने । जर्ज चर्च झर्झ परिभाषणहिंसातर्जनेषु । पिसृ पेसृ गतौ । हसे हसने । णिश समाधौ । मिश मश शब्दे रोषकृते च । शव गतौ । शश प्लुतगतौ । शसु हिंसायाम् । शंसु स्तुतौ । दुर्गतावपीत्येके । चह परिकल्कने । मह पूजायाम् । रह त्यागे । रहि गतौ । दृदृहि बृह बृहि वृद्धौ । बृहि शब्दे च । बृहिर् इत्येके । तुहिर् दुहिर् उहिर् अर्द्दने । अर्ह पूजायाम् । इत्युदात्ता उदातेतः अथ द्युतादयः कृपूपर्यन्ताःपञ्चविम्शतिरात्मनेभाषाः द्युत दीप्तौ । श्विता वर्णे । ञिमिदा स्नेहने । ञिष्विदा स्नेहनमोचनयोः । स्नेहनमोहनयोरित्येके ञिक्ष्विदा चेत्येके । रुच दीप्तावभिप्रीतौ च घुट परिवर्त्तने । रुट लुट लुठ उपघाते । शुभ दीप्तौ । क्षुभ सञ्चलने । णभ तुभ हिंसायाम् । आद्योऽभावेऽपि स्रंसु ध्वंसु भ्रंसु अवस्रंसने । घ्वंसु गतौ च । स्रम्भु विश्वासे । वृतु वर्त्तने । वृघु वृद्धौ । शृघु शब्दकुत्सायाम् । स्यन्दू प्रस्रवणे । कृपू सामर्थ्ये वृत् इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ घटादयस्त्वरत्यन्ताः षोडशात्मनेभाषाः घट चेष्टायाम् । व्यथ भयसञ्चलनयोः । प्रथ प्रख्याने । प्रस विस्तारे । म्रद मर्दने । स्खद स्खदने । क्षजि गतिदानयोः । दक्ष गतिहिंसनयोः । क्रप कृपायां गती च । कदि क्रदि क्लदि वैक्लव्ये । वैकल्य इत्येके । कद क्रद क्लद इत्यन्ये । ञित्वरा सम्भ्रमे । इत्युदात्ता अनुदात्तेतः अथ ज्वरादयः फणान्ताः सप्तपञ्चाशत् परस्मैभाषा ज्वर रोगे । गड सेचने । हेड वेष्टने । वट भट परिभाषणे णट नृतौ । गतावित्यन्ये ष्टक प्रतीघाते । चक तृप्तौ । कखे हसने । रगे शङ्कायाम् । लगे सङ्गे । ह्रगे ह्लगे षगे ष्टगे संवरणे । कगे नोच्यते । क्रियासामान्यार्थत्वात् । अनेकार्थत्वादित्यन्ये । अक अग कुटिलायां गतौ । कण रण गतौ । चण शण श्रण दाने च । शण गतावित्यन्ये । श्रथ श्लथ क्रथ क्लथ हिंसार्थाः । चन च । वनु च नोच्यते । ज्वल दीप्तौ । ह्वल ह्मल सञ्चलने । स्मृ आघ्याने । चृ भये । नृ नये । श्रा पाके । मारणतोषणनिशामनेषुज्ञा कम्पने चलिः छदिर् ऊर्जने जिह्वोन्मथने लडिः मदी हर्षग्लेपनयोः घ्वन शब्दे दलि वलि स्खलि रणि घ्वनि त्रपि क्षपयश्च स्वन अवतंसने घटादयो मितः जनीजृष्क्नसुरञ्जोऽमन्ताश्च ज्वलह्वलह्मलनमामनुपसर्गाद्वा ग्लास्नुवनुवमां च न कम्यमिचमाम् शमो दर्शने यमोऽपरिवेषणे स्खदिर् अवपरिभ्यां च फण गतौ वृत् इति ज्वरादय उदात्ता उदात्तेतः अथैक उभयतोभाषः -- राजृ दीप्तौ उदात्तः स्वरितेत् अथ त्रय आत्मनेभाषाः टुभ्राजृ टुभ्राशृ टुभ्लाशृ दीप्तौ । उदात्ता अनुदात्तेतः अथ स्यमादयः क्षुरत्यन्ताः सप्तविंशतिः परस्मैभाषाः स्यमु स्वन घ्वन शब्दे । षम ष्टम अवैक्लव्ये । ज्वल दीप्तौ । चल कम्पने । जल घातने । टल ट्वल वैक्लव्ये । ष्टल स्थाने । हल विलेखने । ष्ठल स्थाने । हल विलेखने । णल गन्धे । बन्धन इत्येके । पल गतौ । बल प्राणने धान्यावरोवे च । पुल महत्त्वे । कुल संस्त्याने बन्धुषु च । शल हुल पत गतौ । क्वथे निष्पाके । पथे गतौ । मथे विलोडने । टुवम उद्गिरणे । भ्रमु चलने । क्षर सञ्चलने । क्षुर सञ्चये । इत्युदात्ता उदात्तेतः अथ द्वावनुदात्तेतौ षह मर्षणे । उदात्तोऽनुदात्तेत् रमु क्रीडायाम् अनुदात्तोऽनुदात्तेत् अथ षदादयः कसन्ताः सप्त परस्मैभाषाः षद्लृ विशरणगत्यवसादनेषु । शद्लृ शातने । क्रुश आह्वाने रोदने च । कुच सम्पर्चनकौटिल्यप्रतिष्टम्भविलेखनेषु । बुध अवगमने । रुह बीजजन्मनि प्रादुर्भावे च । कस गतौ । कुचादय उदात्ता उदात्तेत्तो रुहिस्त्वनुदात्तः । वृत् इति ज्वलादिर्गणः अथ हिक्कादयो गूहत्यन्ताः पञ्चचत्वारिंशदुभयतोभाषाः हिक्क अव्यक्ते शब्दे । अञ्चु गतौ याचने च । अचु इत्येके । अचि इत्यपरे । टुयाचृ याच्ञाताम् । रेटृ परिभाषणे । वते चदे याचने । प्रोथृ पर्याप्तौ । मिदृ मेदृ मेधाहिंसनयोः । मिथृ मेथृ इत्येके । मिधृ मेधृ इत्यन्ये । मेघृ सङ्गमे च । णिदृ णेदृ कुत्सासन्निकर्षयोः । शृधु मृधु उन्दने । बुधिर् बोधने । उबुन्दिर् निशामने । वेणृ गतिज्ञानचिन्तानिशामनवादित्रग्रहणेषु । वेनृ इत्येके । खनु अवदारणे । चीवृ आदानसंवरणयोः चायृ पूजानिशामनयोः व्यय गतौ । दाशृ दाने । भेषृ भये । गतावित्येके । भ्रेषु भ्लेषु गतौ । अस गतिदीप्त्यादानेषु । अष इत्येके । स्पश बाधनस्पर्शनयोः । लष कान्तौ । चष भक्षणे । छष हिंसायाम् । झष आदानसंवरणयोः । भ्रक्ष भ्लक्ष अदने । प्लक्ष च । दासृ दाने । माहृ माने । गुहू संवरणे । इति हिक्कादय उदात्ताः स्वरितेत्तः अथाजन्ताः श्रिञादयो नयत्यन्ताः पञ्चोभयतोभाषाः श्रिञ् सेवायाम् । उदात्तः भृञ् भरणे । हृञ् हरणे । घृञ् धारणे । णीञ् प्रापणे । इति भृञादयोऽनुदात्ताः अथ धेटादयो ज्रयत्यन्ताः षट्चत्वारिंशत् परस्मैभाषाः धेट् पाने । ग्लै म्लै हर्षक्षये । द्यै न्यक्करणे । द्रै स्वप्ने । ध्रै तृप्तौ । ध्यै चिन्तायाम् । रै शब्दे । स्त्यै ष्ट्यै शब्दसङ्घातयोः । खै खदने । क्षै जै षै क्षये । कै गै शब्दे । शै श्रै पाके । पै ओवै शोषणे । ष्टै वेष्टने । ष्णै वेष्टने । शोभायां चेत्येके । दैप् शोधने । पा पाने । घ्रा गन्धोपादाने । ध्मा शब्दाग्निसंयोगयोः । ष्ठा गतिनिवृत्तौ । म्ना अभ्यासे । दाण् दाने । ह्वृ कौटिल्ये । स्वृ शब्दोपतापयोः । स्मृ चिन्तायाम् । ह्वृ संवरणे । सृ गतौ । ऋ गतिप्रापणयोः । गृ घृ सेचने । ध्वृ हूर्छने स्रु गतौ । षु प्रसवैश्वर्ययोः । श्रु श्रवणे । ध्रु स्थैर्ये । दु द्रु गतौ । जि ज्रि अभिभवे । इत्यनुदात्ताः अथ ष्मिङ्ङादयो डीङन्ता ङितः सप्तविंशतिरात्मनेभाषाः ष्मिङ् ईषद्घसने । गुङ् अव्यक्ते शब्दे । गाङ् गतौ । कुङ् घुङ् उङ् ङुङ् शब्दे । क्रुङ् ख्रुङ् गुङ् ङुङ् चेत्याहुरन्ये । च्युङ् ज्युङ् जुङ् प्रुङ् प्लुङ् गतौ । क्लुङ् इत्येके । रुङ् गतिरेषणयोः । धृ अवध्वंसने । मेङ् प्रणिदाने । देङ् रक्षणे । श्यैङ् गतौ । प्यैङ् वृद्धौ । त्रैङ् पालने । इति ष्मिङ्प्रभृतयोऽनुदात्ताः पूङ् पवने । मूङ् बन्धने । डीङ् विहायसा गतौ । इति पूङादय उदात्ताः अथैकः परस्मैभाषः तृ प्लवनसन्तरणयोः । उदात्तः । अथ गुपादयो हदत्यन्ता अष्टावात्मनेभाषाः गुप गोपने । तिज निशाने । मान पूजायाम् । बध बन्धने । गुपादयश्चत्वार उदात्ता अनुदात्तेतः । रभ राभस्ये । डुलभष् प्राप्तौ । ष्वञ्ज परिष्वङ्गे । हद पुरीषोत्सर्गे । रभादयश्चत्वारोऽनुदात्ता अनुदात्तेतः । अथ ष्विदादयो मेहत्यन्ताः पञ्चदश परस्मैभाषाः ञिष्विदा अव्यक्ते शब्दे । उदात्तः स्कन्दिर् गतिशोषणयोः । यभ मैथुने । णम प्रह्वत्वे शब्दे च । गम्लृ सृप्लृ गतौ । यम उपरमे । तप सन्तापे । त्यज हानौ । षञ्ज सङ्गे । दृशिर् प्रेक्षणे । दंश दशने । कृष विलेखने । दह भस्मीकरणे । मिह सेचने । स्कन्दादयोऽनुदात्ताः इति स्विदादय उदात्तेतः अथैकः परस्मैभाषः कित निवासे रोगापनयने च । उदात्तेत् अथ द्वावुभयतोभाषौ दान खण्डने । शान तेजने । स्वरितेतौ अथ पचादयो वहत्यन्ता नवोभयतोभाषाः डुपचष् पाके । षच समवाये । भज सेवायाम् । रञ्ज रागे । शप आक्रोशे । त्विष दीप्तौ । यज देवपूजासङ्गतिकरणदानेषु । डुवप बीजसन्ताने छेदने च । वह प्रापणे । इति पचादयोऽनुदात्ताः स्वरितेतः सचतिस्तूदात्तः अथैकः परस्मैभाषः वस निवासे । उदात्तेदनुदात्तः अथ वेञादयस्त्रय उभयतोभाषाः वेञ् तन्तुसन्ताने । व्येञ् संवरणे । ह्वेञ् स्पर्द्धायां शब्दे च वेञादयोऽनुदात्ताः अथ द्वौ परमैभाषौ वद व्यक्तायां वाचि । टुओश्वि गतिवृद्ध्योः । इत्युदात्तौ वृत् इति यजादिर्गणः समाप्तः इति शब्विकरणा भ्वादयः समाप्ताः १७३ भृशादयः भृश शीघ्र चपल मन्द पण्!डित उत्सुक सुमनस् दुर्मनस् अभिमनस् उन्मनस् रहस् रोहत् रेहत् संश्चत् तृपत् शश्वत् भ्रमत् वेहत् शुचिस् शुचिवर्चस् अण्डर वर्चस् ओजस् सुरशस् अरजस् १७४ भौरिक्यादयः भौरिकि भौलिकि चौपयत चैतयत काणेय वाणिजक वाणिकाज्य सैकयत वेकयत १७५ मध्वादयः मधु बिस स्थाणु वेणु कर्कन्धु शमी करीर हिम किशरा शर्याण मरुत् वार्दाली शर इष्टका आसुति शक्ति आसन्दी शकल शलाका आमिषी इक्षु रोमन् रुष्टि रुष्य तक्षशिला खड वट वेट १७६ मनोज्ञादयः मनोज्ञ प्रियरूप अभिरूप कल्याण मेधाविन् आढ्य कुलपुत्र छान्दस छात्त्र श्रोत्रिय चोर खूर्त विश्वदेव युवन् कुपुत्र ग्रामपुत्र ग्रामकुलाल ग्रामषण्ड ग्रामकुमार सुकुमार बहुल अवस्यपुत्र अमुष्यपुत्र अमुष्यकुल सारपुत्र शतपुत्र १७७ मयूरव्यंसकादयः मयूरव्यंसक छात्त्रव्यंसक कम्बोजमुण्ड यवनमुण्ड छन्दसि हस्तेगृह्य पादेगृह्य लाङ्गुलगृह्य पुनर्दाय एहीडादयः अन्यपदार्थे एहीदं वर्तते एहियवं वर्तते एहिवाणिजा क्रिया अपेहिवाणिजा प्रेहिवाणिजा एहिस्वागता अपेहिस्वागता एहिद्वितीया अपेहिद्वितीया प्रेहिद्वितीया एहिकटा अपेहिकटा प्रेहिकटा आहरकटा प्रेहिकर्दमा प्रोहकर्दमा विधमचूडा उद्धमचूडा आहरचेला आहरवसना आहरसेना आहरवनित कृन्तविचक्षणा उद्धरोत्सृजा उद्धरावसृजा उद्धमविधमा उत्पचनिपचा उत्पतनिपता उच्चावचम् उच्चनीचम् आचोपचम् आचपराचम् नखप्रचम् निश्चप्रचम् अकिंचन स्नात्वाकालक पीत्वास्थिरक भुक्त्वासुहित प्रोष्यपपीयान् उत्पत्यपाकला निपत्यरोहिणी निषण्णश्यामा अपेहिप्रघसा एहिविघसा इहपञ्चमी इहद्वितीया जहि कर्मणा बहुलम् आभीक्ष्ण्ये कर्तारं च अभिदधाति जहिजोडः जहिस्तम्बम् उज्जहिस्तम्बम् आख्यातम् आख्यातेन क्रियासातत्ये अश्नीतपिबता पचतभृज्जता खादतमोदता खादतवमता आहरनिवपा आवपनिष्किरा उत्पचनिपचा भिन्धिलवणा कृन्धिविचक्षणा पचलवणा पचप्रकूटा आकृतिगणः अयम् १७८ महिष्यादयः महिषी प्रजापति प्रजावती प्रलेपिका विलेपिक अनुलेपिका पुरोहित मणिपाला अनुचारक होतृ यजमान १७९ मालादयः माला शाला शोणा द्राक्षा स्राक्षा क्षामा काञ्ची एक काम १८० मुचादयः मुच् लुप् विद् लिप् षिच् कृती खिद १८१ यजादयः यज टुवप वह वस वेञ् व्येञ् ह्वेञ् वद ट्वोश्वि १८२ यवादयः यव दल्मि ऊर्मि भूमि कृमि क्रुञ्चा वशा द्राक्षा ध्राक्षा ध्रजि ध्वजि निजि सिजि सञ्जि हरित् ककुद् मरुत् गरुत् इक्षु द्रु मधु आकृतिगणः अयम् १८३ यस्कादयः यस्क लह्य द्रुह्य अयःस्थूण तृणकर्ण सदामत्त कम्बलहार बहिर्योग कर्णाढक विश्रि कुद्रि अजबस्ति मित्रयु रक्षोमुख जङ्घारथ उत्कास कटुक मन्थक पुष्करसद् विषपुट उपरिमेखल क्रोष्टुमान क्रोष्टुपाद क्रोष्टुमाय शीर्षमाय खरप पदक वर्षुक भलन्दन भडिल भण्!डिल भदित भण्!डित १८४ याजकादयः याजक पूजक परिचारक परिवेषक स्नापक अध्यापक उत्साहक उद्वर्तक होतृ भर्तृ रथगणक पत्तिगणक १८५ यावादयः याव मणि अस्थि तालु जानु सान्द्र पीत स्तम्ब ऋतौ उष्ण सीते पशौ लूनविपाते अणु निपुणे पुत्र कृत्रिमे स्नातवेदसमाप्तौ शून्य रिक्ते दान कुत्सिते तनु सूत्रे ईयसश्च ज्ञात अज्ञात कुमारीक्रीडनानि च १८६ युक्तारोह्यादयः युक्तारोही आगतरोही आगतयोधी आगतवञ्ची आगतनन्दी आगतप्रहारी आगतमत्स्यः क्षीरहोता भगिनीभर्ता ग्रामगोधुक् अश्वत्रिरात्रः गर्गत्रिरात्रः व्यष्टित्रिरात्रः गणपादः एकशितिपाद् पात्रेसमितादयश्च १८७ युवादयः युवन् स्थविर होतृ यजमान पुरुष असे भ्रातृ कुतुक श्रमण कटुक कमण्डलु कुस्त्री सुस्त्री दुःस्त्री सुहृदय दुर्हृदय सुहृद् दुर्हृद् सुभ्रातृ दुर्भ्रातृ वृषल परिव्राजक सब्रह्मचारिन् अनृशंस हृदय असे कुशल चपल निपुण पिश्नु कुतूहल क्षेत्रज्ञ क्षेत्रियस्य यलोपश्च १८८ यौधेयादयः यौधेय शौक्रेय शौभ्रेय ज्याबाणेय धार्तेय त्रिगर्त भरत उशीनर १८९ यौधेयादयः यौधेय कौशेय शौक्रेय शौभ्रेय धार्तेय घार्तेय ज्याबाणेय त्रिगर्त भरत उशीनर १९० रजतादयः रजत सीस लोह उदुम्बर नीप दारु रोहितक विभीतक पीतदारु तीव्रदारु त्रिकण्टक कण्टकार १९१ रधादयः रध णश तृप दृप द्रुह मुह ष्णुह ष्णिह १९२ रसादयः रस रूप वर्ण गन्ध स्पर्श शब्द स्नेह भाव गुणात् एकाचः १९३ राजदन्तादयः राजदन्तः अग्रेवणम् लिप्तावसितम् नग्नमुषितम् सिक्तसम्मृष्टम् मृष्टलुञ्चितम् अवक्लिन्नपक्वम् अर्पितोप्तम् उप्तगाढम् उलूखलमुसलम् तण्डुलकिण्वम् दृषदुपलम् आरग्वायनबन्धकी चित्ररथबाल्हीकम् अवन्त्यश्मकम् शूद्रार्यम् स्नातकराजानौ विश्वक्सेनार्जुनौ अक्षिभ्रुवम् दारगवम् शब्दार्थौ धर्मार्थौ कामार्थौ अर्थशब्दौ अर्थकामौ वेकारिमतम् गजवाजम् गोपालधानीपूलासम् पूलासककुरण्डम् स्थूलपूलासम् उशीरबीजम् सिञ्जाश्वत्थम् चित्रास्वाती भार्यापती दम्पती जम्पती जायापती पुत्रपती पुत्रपशू केशश्मश्रू शिरोबीजम् शिरोजानु सर्पिर्मधुनी मधुसर्पिषी आद्यन्तौ अन्तादी गुणवृद्धी वृद्धिगुणौ १९४ राजन्यादयः राजन्य अनृत बाभ्रव्य शालङ्कायन दैवयात अव्रीड वरत्रा जालंधरायण राजायन तेलु आत्मकामेय अम्बरीषपुत्र वसाति बैल्ववन शेलूष उदुम्बर तीव्र बैल्वज आर्जुनायन सम्प्रिय दाक्षि ऊर्णनाभ १९५ रुदादयः रुदिर् ञिष्वप श्वस अन जक्ष १९६ रुधादयः रुधिर् भिदिर् छिदिर् रिचिर् विचिर् क्षुदिर् युजिर् उछृदिर् उतृदिर् कृती ञीन्धी खिद विद शिष्लृ पिष्लृ भन्जो भुज तृह हिसि उन्दी अन्जू तन्चू ओविजी वृजी पृची १९७ रेवत्यादयः रेवती अश्वपालि मणिपाली द्वारपाली वृकवञ्चिन् वृकबन्धु वृकग्राह कर्णग्राह दण्डग्राह कुक्कुटाक्ष चामरग्राह १९८ रेवतिकादयः रेवतिक स्वापिशि क्षैमवृद्धि गौरग्रीव औदमेघि औदवापि बैजवापि १९९ लोमादयः लोमन् रोमन् बभ्रु हरि गिरि कर्क कपि मुनि तरु २०० लोहितादयः लोहित चरित नील फेन मद्र हरित दास मन्द २०१ लोहितादयः लोहित संशित बभ्रु वल्गु मण्डु गण्डु शङ्कु लिगु गुहलु मन्तु मङ्क्षु अलिगु जिगीषु मनु तन्तु मनायी सूनु कथक कन्थक ऋक्ष तृक्ष तनु तरुक्ष तलुक्ष तण्ड वतण्ड कपि कत २०२ ल्वादयः लूञ् स्तॄन् कॄञ् वॄञ् धूञ् शॄ पॄ वॄ भॄ मॄ दॠ जॄ नॄ कॄ ॠ गॄ ज्या री ली व्ली प्ली २०३ वंशादयः वंश कुटज बल्वज मूल स्थूणा अक्ष अश्मन् अश्व श्लक्ष्ण इक्षु खट्वा २०४ वनस्पत्यादयः वनस्पतिः बृहस्पतिः शचीपतिः तनूनपात् नराशंसः श्नुःशेफः शण्डामर्कौ तृष्णावरुत्री लम्बाविश्ववयसौ मर्मृत्युः २०५ वरणादयः वरणा शृङ्गी शाल्मलि श्ण्डुई! शयाण्डी पर्णी ताम्रपर्णी गोद आलिङ्ग्यायन जानपदी जम्बू पुष्कर चम्पा पम्पा वल्गु उत्तयिनी गया मथुरा तक्षशिला उरसा गोमती वलभी २०६ वराहादयः वराह पलाश शिरीष पिनद्ध निबद्ध बलाह स्थूल विदग्ध विजग्ध विभग्न विमग्न बाहु भदिर शर्करा २०७ वर्ग्यादयः वर्ग पूग गण पक्ष धाय्य मित्र मेधा अन्तर पथिन् रहस् अलीक उखा साक्षिन् देश आदि अन्त मुख जघन मेघ यूथ उदकात् संज्ञायाम् न्याय वंश वेश काल आकाश २०८ वसन्तादयः वसन्त ग्रीष्म वर्षा शरद् हेमन्त शिशिर प्रथम गुण चरम अनुगुण अथर्वन् आथर्वण २०९ वाकिनादयः वाकिन गौधेर कार्कष काक लङ्का चर्मिवर्मिणोर् न लोपश्च २१० विनयादयः विनय समय उपायात् ह्रस्वत्वं च सम्प्रति सङ्गति कथंचित् अकस्मात् समाचार उपचार समयाचार व्यवहार सम्प्रदान समुत्कर्ष समूह विशेष अत्यय २११ विमुक्तादयः विमुक्त देवासुर रक्सोऽसुर उपसद् सुवर्ण परिसारक सदसद् वसु मरुत् पत्नीवत् वसुमत् महीयत्व सत्वत् बर्हवत् दशार्ण दशार्ह वयस् हविर्धान पतत्रिन् महित्री अस्यहत्य सोमापूषन् इडा अग्नाविष्णु उर्वशी वृत्रहन् २१२ विस्पष्टादीनि विस्पष्ट विचित्र विचित्त व्यक्त सम्पन्न पटु पण्!डित कुशल चपल निपुण २१३ वृत् वृत् वृधु शृधु स्यन्दू कृपू २१४ वृषादयः वृषः जनः ज्वरः ग्रहः हयः गयः नयः तायः तयः चयः अमः वेदः सूदः अंशः गुहा समरणौ संज्ञायां सम्मतौ भावकर्मनोः मन्त्रः शान्तिः कामः ग्रामः आरा धारा कारा वाहः कल्पः पादः आकृतिगणः अयम् २१५ वेतनादयः वेतन वाहन अर्धवाहन धनुर्दण्ड जाल वेश उपवेस प्रेषण उपवस्ति सुख शय्या शक्ति उपनिषद् उपदेश स्फिज् पाद उपस्थ उपस्थान उपहस्त २१६ व्याघ्रादयः व्याघ्र सिंह ऋक्ष ऋषभ चन्दन वृक वृष वराह हस्तिन् तरु कुञ्जर रुरु पृषत् पुण्डरीक पलाश कितव आकृतिगणः अयम् २१७ व्युष्टादयः व्युष्ट नित्य निष्क्रमण प्रवेशन उपसंक्रमण तीर्थ आस्तरण संग्राम संघात २१८ व्रीह्यादयः व्रीहि माया शाला शिखा माला मेखला केका अष्टका पताका चर्मन् कर्मन् वर्मन् दंष्ट्रा संज्ञा वडवा कुमारी नौ वीणा बलाक यवखद शीर्षान्नञः २१९ शण्!डिकादयः शण्!डिक सर्वसेन सर्वकेश शक शट रक शङ्ख बोध २२० शमादयः शमु तमु दमु श्रमु भ्रमु क्षमु क्लमु मदी २२१ शरत्प्रभृतयः शरद् विपाश् अनस् मनस् उपानह् अनडुह् दिव् हिमवत् हिरुक् विद् सद् दिश् दृश् विश् चतुर् त्यद् तद् यद् कियत् जरायाः जरश्च प्रतिपरसमनुभ्यः अक्ष्णः पथिन् २२२ शरादयः शर दर्भ मृद् कुटी तृण सोम बल्वज २२३ शरादयः शर वंश धूम अहि कपि मणि मुनि शुचि तनु २२४ शर्करादयः शर्करा कपालिका कपाटिका कनिष्ठिका पुण्डरीक शतपत्र गोलोमन् लोमन् गोपुच्छ नराची नकुल सिकता २२५ शाखादयः शाखा मुख जघन शृङ्ग मेघ अभ्र चरण स्कन्ध स्कन्द उरस् शिरस् अग्र शरण २२६ शार्ङ्गरवादयः शार्ङ्गरव कापटव गौग्गुलव ब्राह्मण बैद गौतम कामण्डलेय ब्राह्मणकृतेय आनिचेय आनिधेय आशोकेय वात्स्यायन मौन्जायन कैकस काव्य शेब्य एहि पर्येहि आश्मरथ्य औदपान अराल चण्डाल वतण्ड भोगवद्गौरिमतोः संज्ञायाम् घादिषु नित्यं ह्रस्वार्थम् नृनरयोर्वृद्धिश्च २२७ शिवादयः शिव प्रोष्ठ प्रोष्ठिक चण्ड जम्भ भूरि दण्ड कुठार ककुभ् अनभिम्लान कोहित मुख संधि मुनि ककुत्स्थ कहोड कोहड कहूय कहय रोध कपिञ्जल खञ्जन वतण्ड तृणकर्ण क्षीरह्रद जलह्रद परिल पथिक पिष्ट हैहय पार्षिका गोपिका कपिलिका जटिलिका बधिरिका मञ्जीरक मजिरक वृष्णिक खञ्जार खञ्जाल कर्मार रेख लेख आलेखन विश्रवण रवण वर्तनाक्ष ग्रिवाक्ष विटप पिटक पिटाक तृक्षाक नभाक ऊर्णनाभ जरत्कारु पृथा उत्क्षेप पुरोहितिका सुरोहितिका सुरोहिका आर्यश्वेत सुपिष्ट मसुरकर्ण मयूरकर्ण खर्जुरकर्ण खदूरक तक्षन् ऋष्टिषेण गङ्गा विपाश् यस्क लह्य द्रुहय् अयःस्थूण तृण कर्ण पर्ण भलन्दन विरूपाक्ष भूमि इला सपत्नी द्व्यचोनद्यः त्रिवेणी त्रिवणं च २२८ श्णुडिकादयः श्णुडिक कृकण स्थण्!डिल उदपान उपल भूमि तृण पर्ण २२९ श्भ्रुआ!दयः श्भ्रु विष्ट पुर ब्रह्मकृत शलाथल शलाकाभ्रू लेखाभ्रू विकस रोहिणी रुक्मिणी धर्मिणी दिश् शालूक अजवस्ति शकन्धि विमातृ विधवा श्कु विश देवतर शकुनि श्क्रु उग्र ज्ञातल बन्धकी सृकण्डु विस्रि अतिथि गोदन्त कुशाम्ब सकष्टु शाताहर पवष्टुरिक सुनामन् लक्ष्मणश्यामयोर् वासिष्ठे गोधा कृकलास अणीव प्रवाहण भारत भरम मृकण्डु कर्पूर इतर अन्यतर आलीढ सुदन्त सुदक्ष सुवक्षस् सुदामन् कद्रु तुद अकशाय कुमारिका कुठारिका किशोरिका अम्बिका जिह्माशिन् परिधि वायुदत्त शकल शलाका खडूर कुबेरिका अशोका गन्धपिङ्गला खडोन्मत्ता अनुदृष्टिन् जरतिन् बलीवर्दिन् विग्र बीज जीव श्वन् अश्मन् अजिर आकृतिगणः अयम् २३० शौण्डाः शौण्ड धूर्त कितव व्याड प्रवीण संवीत अन्तर अधि पटु पण्!डित कुशल चपल निपुण २३१ शौनकादयः शौनक वाजसनेय शार्ङ्गरव शापेय शाष्पेय खाडायन स्तम्भ स्कन्ध देवदर्शन रज्जुभार रज्जुकण्ठ कठशाठ कशाय तल दण्ड पुरुषांसक अश्वपेज २३२ श्रमणादयः श्रमणा प्रव्रजिता कुलटा गर्भिणी तापसी दासी बन्धकी अध्यापक अभिरूपक पटु मृदु पण्!डित कुशल चपल निपुण २३३ श्रेण्यादयः श्रेणि ऊक पूग कुन्दुम राशि निचय विशेष निधान पर इन्द्र देव मुण्ड भूत श्रमण वदान्य अध्यापक अभिरूपक ब्राह्मण क्षत्रिय विशिष्ट पटु पण्!डित कुशल चपल निपुण २३४ सख्यादयः सखि अग्निदत्त वायुदत्त सखिदत्त गोपिल भल्लपाल भल्ल चक्र चक्रवाक छगल अशोक करविर वासव वीर पूर वज्र कुशीरक सीहर सरक सरस समर समल सुरस रोह तमाल कदल सप्तल २३५ संकलादयः संकल पुष्कल उत्तम उडुप उद्वेप उत्पुट कुम्भ निधान सुदक्ष सुदत्त सुभूत सुपूत सुनेत्र सुमङ्गल सुपिङ्गल सूत सिकत पूतिक पूलास कूलास पलाश निवेश गवेष गम्भीर इतर आन् अहन् सोमन् वेमन् वरुण बहुल सद्योज अभिषिक्त गोभृत् राजभृत् भल्ल मल्ल माल २३६ संकाशादयः संकाश कपिल कश्मीर समीर सूरसेन सरक सूर सुपन्थिन् पन्थ च यूप अंश अङ्ग नासा पलित अनुनाश अश्मन् कूट मलिन दस कुम्भ शीर्ष विरत समल सीर पञ्जर मन्थ नल रोमन् लोमन् पुलिन सुपरि कटिप सकर्णक वृष्टि तीर्थ अगस्ति विकर नासिक २३७ संतापादयः संताप संनाह संग्राम संयोग सम्पराय सम्पेष निष्पेष सर्ग निसर्ग विसर्ग उपसर्ग प्रवास उपवास संघात संवेष संवास सम्मोदन सक्तु मांसौदनात् विगृहीतादपि २३८ संधिवेलादयः संधिवेला संध्या अमावास्या त्रयोदशी चतुर्दशी पञ्चदशी पौर्णमासी प्रतिपद् संवत्सरात् फलपर्वणोः २३९ सपत्न्यादयः समान एक वीर पिण्ड श्व भ्रातृ भद्र पुत्र दासाच्छन्दसि २४० सर्वादीनि सर्व विश्व उभ उभय डतरादयः डतर डतम इतर अन्यतर त्व त्व नेम सम सिम पूर्वपरावरदक्षिणोत्तरापराधराणि व्यवस्थायाम् असंज्ञायाम् स्वम् अज्ञातिधनाख्यायाम् अन्तरम् बहिर्योगोपसंव्यानयोः त्यदादयः त्यद् तद् यद् एतद् अदस् इदम् एक द्व्यादयः द्वि युष्मद् अस्मद् भवतु किम् २४१ सवनादयः सवने सवने सूते सूते सोमे सोमे सवनमुखे सवनमुखे किसः किंसः किंसं किंसम् अनुसवनम् अनुसवनम् गोसनिम् गोसनिम् अश्वसनिम् अस्वसनिम् २४२ साक्षात्प्रभृतीनि साक्षात् मिथ्या चिन्ता भद्रा रोचना आस्था अमा अद्धा प्राजर्या प्राजरुहा बीजर्या बीजरुहा संसर्या अर्थे लवणम् उष्णम् शीतम् उदकम् आर्द्रम् अग्नौ वशे विकसने प्रसहने प्रतपने प्रादुस् नमस् आकृतिगणः अयम् २४३ सिध्मादयः सिध्म गडु मणि नाभि बीज वीणा कृष्ण निष्पाव पांसु पार्श्व पर्शु हनु सक्तु मांस पार्ष्णिधमन्योः दीर्घश्च वातदन्तबलललाटानाम् ऊङ् च वातूल दन्तूल बलूलललाटूल जटाघटाकटाकालाः क्षेपे पर्ण उदक प्रज्ञा सक्थि कर्ण स्नेह शीत श्याम पिङ्ग पित्त पुष्क पृथु मृदु मञ्जु मण्ड पत्त्र चटु कपि गण्डु ग्रन्थि श्री कुश धारा वर्ष्मन् पक्ष्मन् श्लेष्मन् पेश निष्पाद् कुण्ड क्षुद्रजन्तूपतापयोश्च २४४ सिन्ध्वादयः सिन्धु वर्णु मधुमत् कम्बोज साल्व कश्मीर गन्धार किष्किन्धा उरसा दरद गन्दिक २४५ सुखादीनि सुख दुःख तृप्त कृच्छ्र अस्र आस्र अलीक प्रतीप करुण कृपण सोढ २४६ सुखादीनि सुख दुःख तृप्त कृच्छ्र अस्र आस्र अलीक करुण सोढ प्रतीप शील हल माला क्षेपे कृपण प्रणाय दल कक्ष २४७ सुतंगमादयः सुतंगम मुनिचित्त विप्रचित्त महाचित्त महापुत्र स्वन श्वेत गडिक श्क्रु विग्र बीजवापिन् अर्जुन श्वन् अजिर जीव खण्!डित कर्ण विग्रह २४८ सुवास्त्वादयः सुवास्तु वर्णु भण्डु खण्डु सेवालिन् कर्पूरिन् शिखण्!डिन् गर्त कर्कश शकटीकर्ण कृष्णकर्ण कर्क कर्कन्धुमती गोह अहिसक्थ २४९ सुषामादयः सुषामा निःषामा दुःषामा सुषेधः निषेधः दुःषेधः सुषंधिः निःषंधिः दुःषंधिः सुष्ठु दुष्ठु गौरिषक्थः संज्ञायाम् प्रतिष्णिका जलाषाहम् नौषेचनम् दुन्दुभिषेवनम् एति संज्ञायामगात् हरिषेणः नक्षत्राद्वा रोहिणिषेणः आकृतिगणः अयम् २५० स्थूलादयः स्थूल अणु माष इषु कृष्ण तिलेषु यव व्रीहिषु इक्षुतिलपाद्यकालावदाताः सुरायाम् गोमूत्र आच्छादने सुरा अहौ जीर्ण शालिषु पचमूले समस्तव्यस्ते कुमारीपुत्र कुमारीश्वश्रु २५१ स्नात्व्यादयः स्नात्वी पीत्वी आकृतिगणः अयम् २५२ स्वपादयः ञिष्वप श्वस अन २५३ स्वरादीनि स्वर् अन्तर् प्रातर् पुनर् सनुतर् उच्चैस् नीचैस् शनैस् ऋधक् ऋते युगपत् आरात् पृथक् ह्यस् श्वस् दिवा रात्रौ सायम् चिरम् मनाक् ईषत् शश्वत् जोषम् तूष्णीम् बहिस् अधस् समया निकशा स्वयम् मृषा नक्तम् नञ् हेतौ हे है इद्धा अद्धा सामि वत् बत सनत् सनात् तिरस् अन्तरा अन्तरेण मक् ज्योक् योक् नक् कम् शम् सना सहसा स्रद्धा अलम् स्वधा वषट् विना नाना स्वस्ति अन्यद् अस्ति उपांशु क्षमा विहायसा दोषा सुधा दिष्ट्या वृथा मिथ्या क्त्वातोसुन्कसुनह् कृद्मकारसंध्यक्षरान्तः अव्यवीभावश्च पुरा मिथो मिथस् प्रायस् मुहुस् प्रवाहुकम् प्रवाहिका आर्यहलम् अभीक्ष्णम् साकम् सार्धम् सत्रम् समम् नमस् हिरुक् तसिलादयस् तद्धिताः एधाच्पर्यन्ताः शस्तसि कृत्वसुच् सुच् अच्थलौ च्व्यर्थाश्च अथ अम् आम् प्रताम् प्रतान् प्रशान् आकृतिगणः अयम् तेन अन्ये अपि तथाहि माङ् श्रम् कामन् प्रकामम् भूयस् परम् साक्षात् साचि सत्यम् मङ्क्षु संवत् अवश्यम् सपदि प्रादुस् आविस् अनिशम् नित्यम् नित्यदा सदा अजस्रम् संततम् उषा ओम् भूर् भुवर् झटिति तरसा सुष्ठु कु अञ्जसा अ मिथु विथक् भाजक् अन्वक् चिराय चिरम् चिररात्राय चिरस्य चिरेण चिरात् अस्तम् आनुषक् अनुषक् अनुषत् अम्नस् अम्नर् स्थाने वरम् दुष्ठु बलात् सु अर्वाक् सुदि वदि इत्यादि तसिलादयः प्राक् पाशपः शस्प्रभृतयः प्राक् समासान्तेभ्यः मान्तः कृत्वो अर्थः तसिवती नानञौ इति २५४ स्वस्रादयः स्वसृ दुहितृ ननान्दृ यातृ मातृ तिसृ चतसृ २५५ स्वागतादीनि स्वागत स्वध्वर स्वङ्ग व्यङ्ग व्यड व्यवहार स्वपति २५६ स्वादयः स्वौजसमौट्शष्टाभ्याम्भिर्ङेभ्याम्भ्यष्ङसिभ्याम् भ्यस् ङसोसां ङिओस्सुप् ऊङ् २५७ स्वादयः षुञ् षिञ् शिञ् डुमिञ् चिञ् स्तृञ् कृञ् वृञ् धुञ् टुदु हि गतौ वृद्धौ च पृ स्पृ प्रीतिचलनयोर् इत्यन्ये स्मृइत्येके आप्लृव्याप्तौ शकॢशक्तौ राध साध संसिद्धौ अशू ष्टिघ तिक षघ हिंसायाम् ञिधृष दन्भु ऋधु तृप अह दघ चमु रि क्षि चिरि जिरि दाश दृ वृत् २५८ हरितादयः हरित किंदास बह्यास्क अर्कजूष बध्योग विष्णु वृद्ध प्रतिबोध रथीतर रथंतर गविष्ठिर निषाद शबर अलस मठर मृडाकु सृपाकु मृदु पुनर्भू पुत्र दुहितृ ननान्दृ परस्त्री परशुं च २५९ हरीतक्यादयः हरीतकी कोशातकी नखरजनी शष्कण्डी दाडी दोडी श्वेतपाकि अर्जुनपाकी द्राक्षा काला ध्वाक्षा गभीका कण्टकारिका पिप्पली चिम्पा शेफालिका २६० हस्त्यादयः हस्तिन् कुद्दाल अश्व कशिक कुरुत कटोल कटोलक गण्डोल गण्डोलक कण्डोल कण्डोलक अज कपोत जाल गण्ड महेला दासी गणिका कुसूल २६१